scriptतानसेन संगीत समारोह से जुड़े हैं यह रोचक किस्से, इसलिए खास है तानसेन समारोह | tansen samaroh story 2019 | Patrika News
ग्वालियर

तानसेन संगीत समारोह से जुड़े हैं यह रोचक किस्से, इसलिए खास है तानसेन समारोह

tansen samaroh festival 2019 : विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह का शुभारंभ आज शाम 7 बजे

ग्वालियरDec 17, 2019 / 03:17 pm

monu sahu

tansen samaroh festival

तानसेन संगीत समारोह से जुड़े हैं यह रोचक किस्से, इसलिए खास है तानसेन समारोह

ग्वालियर। मध्यप्रदेश के जिले और गालव श्री की धरती ग्वालियर पर 17 दिसंबर से महान संगीत रत्न तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करते हुए विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह का शुभारंभ मंगलवार को शाम 7 बजे से संगीत समा्रट तानसेन की हजीरा स्थित सामाधि पर होगा। तानसेन के आंगन में यह समारोह संगीत का महाउत्सव है, जहां सुर,लय, ताल, राग-रागनियों का संगम दशकों से दिखता आ रहा है। यह संगीत पीढिय़ों से शहरवासियों के रग-रग में बसा है, जिसकी अमिट छाप शहर की गलियों में और तानसेन के जन्म स्थान झिलमिल नदी के किनारे बेहट में नजर आती है।
ऐसे चमत्कृत वातावरण के प्रतिनिधि तानसेन हैं, तो बैजू बावरा उसके सहयात्री। पीढ़ी दर पीढ़ी न जाने कितने ही विश्व विख्यात साधक इस परम्परा को अपने सुरों से पोषित कर रहे हैं। ऐसे मेें आज हम आपको बताने जा रहे है तानसेन संगीत समारोह से जुड़े कुछ रोचक किस्से, तो आइए जानते हैं।
तानसेन की देन हैं यह समारोह
ये राग तानसेन द्वारा अविष्मरणीय रागों का उल्लेख बहुत से शास्त्रकारों एवं इतिहासकारों ने अपने ग्रंथ में किया है। इसमें तानसेन द्वारा अविष्कृत 6 राग मिलते हैं। जो कि इस प्रकार है।
यह है वाद्य सुर
सम्राट की देन रुद्रवीणा, रबाब

सुरों का साहित्य भी है यहां
तानसेन से संगीत शास्त्र पर आधारित & ग्रंथों की रचना की थी, जिनका उल्लेख मिश्र बंधुओं द्वारा लिखित बंधु विनोद में पाया जाता है। ग्रंथ संगीतसार रागमाला संगीतश्रोत है।
दरगाह से उठती थी चादर
तानसेन की समाधि पर सिंधिया सरकार की ओर से चादर चढ़ाई जाती थी। यह चादर बाबा कपूर की दरगाह से गाजे-बाजे के साथ लाई जाती थी। जुलूस में तवायफों का जुलूस भी रहता था। साथ ही इस जुलूस में हजारों की संख्या में लोग भी शामिल होते थे।
शुरू से ही आते रहे विदेशी श्रोता
आपको बता दें कि तानसेन समारोह में देशभर से श्रोताओं के अलावा विदेशी श्रोता भी आते रहे हैं। जयाजी प्रताप के 19 जनवरी 1928 के अंक में इसका जिक्र भी है। जयाजीप्रताप में तानसेन समारोह पर छपी खबर में कहा गया है कि इस समारोह में जब पं.कृष्णराव पंडित का गायन हो रहा था तब यहां इतनी भीड हो गई थी कि व्यवस्थाएं करना मुश्किल हो गया था। इस समारोह यूरोप से भी कुछ श्रोता आए थे।
इनाम की परंपरा
तानसेन समारोह में हर साल सरकार द्वारा किसी एक कलाकार को उसकी साधना के लिए राष्ट्रीय तानसेन सम्मान से अलंकृत किया जाता है। तानसेन समारोह के शुरुआती दिनों में भी यहां आने वाले कलाकारों को इनाम दिया जाता था। 7 जनवरी 1926 के जयाजी प्रताप के अंक में रायबहादुर भैया बालमुकुंद स चेयरमेन इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट और एक अन्य व्यक्ति द्वारा तानसेन समारोह के लिए दो पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी। 14 जनवरी 1926 के जयाजी प्रताप के अंक में इसका जिक्र है। इसमें कहा गया कि आलीजाह दरबार प्रेस के मैनेजर यशवंतराव मानगांवकर ने इस समारोह के लिए एक इनाम देने की घोषणा की थी।

Hindi News / Gwalior / तानसेन संगीत समारोह से जुड़े हैं यह रोचक किस्से, इसलिए खास है तानसेन समारोह

ट्रेंडिंग वीडियो