ग्वालियर

Music Festival: सिंधिया ने शुरू कराया था समारोह, यहां पहली बार लगेगी संगीत की चौपाल

अंतरराष्ट्रीय समारोह 19 दिसंबर से, 18 को इंटक मैदान में होगा, तानसेन समारोह में पहली बार लगेगी संगीत चौपाल, कला साधक कर सकेंगे सांगीतिक चर्चा

ग्वालियरNov 04, 2022 / 12:31 pm

Manish Gite

ग्वालियर। अंतरराष्ट्रीय महोत्सव तानसेन समारोह में पहली बार संगीत चौपाल लगेगी। इसमें शहर के कला साधक ग्वालियर घराने की संगीत पद्धति और कलाकारों द्वारा दी जा रहीं प्रस्तुतियों पर चर्चा करेंगे। अगले वर्ष से देशभर से कला साधकों को चौपाल में शामिल होने आमंत्रित किया जाएगा। यह प्रस्ताव संस्कृति विभाग ने तैयार किया।


तानसेन समारोह की शुरुआत 19 दिसंबर को होने जा रहा है। इसके पूर्व गमक कार्यक्रम होगा। 23 दिसंबर को समापन बेहट व गूजरी महल में प्रस्तुति के साथ होगा। स्थानीय समिति की बैठक गुरुवार को ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की मौजूदगी एवं संभागायुक्त दीपक सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। इस दौरान उपस्थित कला साधकों से सुझाव भी मांगे गए। उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी के उप निदेशक राहुल रस्तोगी ने सभी विभागों को सहयोग करने कार्य बताए।

 

 

माधवराव सिंधिया ने शुरू कराया था समारोह

तानसेन समारोह हर साल दिसंबर माह में ग्वालियर जिले के हजीरा स्थित मोहम्मद गौस मकबरा परिसर में मनाया जाता है। इसी स्थान पर तानसेन की समाधि भी है। 1924 में सिंधियावंश के तत्कालीन महाराजा माधवराव सिंधिया (madhavrao scindia) ने शुरू कराया था। इसका मकसद संगीत सम्राट तानसेन को श्रद्धांजलि देना था। इसलिए उन्हीं के नाम से उर्स भी शुरू हुआ था।

वायुयानों एवं प्रमुख रेलगाड़ियों में तानसेन समारोह पर केन्द्रित ब्रॉसर रखवाएं, जिससे देशभर के कला रसिक ग्वालियर में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय तानसेन समारोह से जुड़ सकें।

-कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, कलेक्टर

 

उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी, पर्यटन विभाग से समन्वय बनाकर तानसेन समारोह का व्यापक प्रचार प्रसार करें। सोशल मीडिया का उपयोग कर देश दुनियाभर में प्रचार करें।

-दीपक सिंह, संभागायुक्त

 

समारोह में देश के बड़े लोगों को आमंत्रित करें और उनके आने के वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करें।

-डॉ. केशव पांडे, समाजसेवी

 

 

संगीत रसिकों को जोड़ने हो व्यापक प्रचार प्रसार

ऊर्जा मंत्री तोमर ने तानसेन समारोह से संगीत रसिकों को जोड़ने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। साथ ही कहा कि तानसेन समारोह को भव्यता प्रदान करने के लिए जो भी निर्णय लिए गए हैं, उनका क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर हो। उन्होंने स्थानीय कलाकारों को भी इस आयोजन में अपनी प्रस्तुतियां देने के पर्याप्त अवसर दिलाने की बात कही।

 

नगर निगम की स्क्रीन पर अभी से तानसेन समारोह का प्रचार प्रसार शुरू हो किया जाए। साथ ही रंग यात्रा निकाली जाए।

-अशोकानंद, समाजसेवी

 

इस आयोजन के बाद समारोह के 100वें वर्ष की तैयारी में जुट जाना चाहिए, जिससे राष्ट्रपति जी को ग्वालियर लाने के प्रोटोकॉल को पूरा किया जा सके।

-बाल खांडे, समाजसेवी

1924 से इस समारोह की शुरुआत

इस महान संगीतकार की स्मृति में सन् 1924 से प्रतिवर्ष ग्वालियर में संगीतज्ञों का मेला लगता है, जहां देश के चोटी के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर संगीत सम्राट तानसेन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति को चिरस्थाई बनाने के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा 1980 में राष्ट्रीय तानसेन सम्मान की स्थापना की गई। वर्ष 1985 तक इस सम्मान की राशि पांच हजार रुपए थी। वर्ष 1986 में इसे बढ़ाकर पचास हजार रुपए कर दिया गया और वर्ष 1990 से इस सम्मान के अन्तर्गत एक लाख रुपए तथा प्रशस्ति पट्टिका भेंट की जाती रही। अब सम्मान राशि बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दी गई है।

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