आधिकारिक जानकारी के मुताबिक सोन चिरैया में घास और दूसरी वनस्पितियों की सघनता ने खास तौर पर पर्यावरण विशेषज्ञों को प्रभावित किया था। डीएफओ विक्रम सिंह ने बताया कि पर्यावरण विशेषज्ञों की रिपोर्ट से इस क्षेत्र के जंगल को राष्ट्रीय पहचान मिली है। खास तौर पर अब सोन चिरैया अभयारण्य प्रबंधन के लिए बेहतर तकनीकी सुविधाएं और अवसर हासिल हो सकेंगे।
मालुम हो कि जंगल खासकर अभयारण्यों को तीन कटैगरी में बांटा गया है। ये कटैगरी पूअर, गुड और एक्सीलेंस श्रेणी की हैं। सूत्रों के मुताबिक पर्यावरण बोर्ड की एक्सपर्ट टीम ने सोन चिरैया के संदर्भ में उल्लेखनीय जानकारी मुहैया कराई थी। जिसके आधार पर विशेषज्ञों ने सोन चिरैया की अनुपस्थिति का बात साफ तौर पर नकार दी है। हालांकि उन्होंने कहा है कि जब तक सोन चिरैया के फोटो और वीडियो प्रूफ नहीं मिलते, जब तक उसको एकदम पुख्ता नहीं माना जा सकता है।