मोनू उपाध्याय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी थी, जिसमें आरोप लगाया था कि लहार में विधानसभा चुनाव निष्पक्ष नहीं कराए जा रहे हैं। उसने अपनी पोस्ट को टैग कर दिया। इस पोस्ट को लेकर प्रेक्षक ने मोनू उपाध्याय पर धारा 188, 505 (2) के तहत केस दर्ज करा दिया। इसको लेकर मोनू ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता गौरव मिश्रा ने तर्क दिया कि सोशल मीडिया पर ऐसी कोई सामग्री नहीं लिखी थी, जिस पर कोई आपत्ति हो। याचिकाकर्ता ने चुनाव में जो देखा, वही सोशल मीडिया पर लिखा। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संवैधानिक अधिकार है। लोकतंत्र के प्रमुख स्तंभ में मीडिया एक प्रमुख स्तंभ है। जब नागरिक बिना डर के अपनी राय व्यक्त कर सकता है, तभी लोकतंत्र का सही मतलब है। शासन ने याचिका का विरोध किया। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद एफआइआर निरस्त कर दी।