ग्वालियर

Smart City Gwalior : घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही रस्ते में हैं ” गड्ढे ही गड्ढे “

अधिकारियों और ठेकेदारों के गठजोड़ ने बिगाड़ी शहर की सूरत

ग्वालियरJul 07, 2019 / 11:38 am

Gaurav Sen

स्मार्ट सिटी ग्वालियर : घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही रस्ते में हैं ” गड्डे ही गड्डे “

ग्वालियर। शहर के लोगों को इन दिनों घर से निकलते ही गड्ढों से रूबरू होना पड़ रहा है। मुख्य मार्ग हों, कॉलोनी या गली मोहल्ले, हर तरफ गड्ढे हमारी व्यवस्था पर मुस्कुराते हुए तंज करते दिख रहे हैं। इनके कारण शहर की सूरत तो बिगड़ी ही है, वाहन चालक भी बार-बार दचके लगने से कमर दर्द के शिकार हो रहे हैं।

कहने को नगर निगम द्वारा हर साल सडक़ों की मरम्मत और निर्माण पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, इसके बावजूद सडक़ों के जख्म नहीं भर पाते हैं। बारिश में हालात और अधिक बिगड़ जाते हैं। जो सडक़ कुछ महीने पहले ही बनी हैं वह भी बारिश में घुल जाती हैं, जो इनमें भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती हैं। शहर की इस हालत के लिए नगर निगम अधिकारियों और ठेकेदारों का गठजोड़ सीधे जिम्मेदार है। अधिकारी ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की जुगत में लगे रहते हैं। आलम यह है कि सडक़ों की गुणवत्ता की जांच के लिए नगर निगम में बनी लैब ही तीन साल से बंद है, इसलिए प्रायवेट लैब में जांच की जा रही है, जिसमें सरेआम धांधली चल रही है।

 

सीधी बात संदीप माकिन, ननि कमिश्नर

सवालसडक़ों की हालत खराब है, इन्हें ठीक क्यों नहीं किया जा रहा है
जवाबबारिश से सडक़ें उखड़ गई हैं, ठीक करवा रहे हैं। समस्या न आए इसलिए गड्ढों को भर रहे हैं।
सवालपानी निकासी की व्यवस्था पहले क्यों नहीं करते हैं
जवाबशहर के कुछ क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से ही पानी जमा होता है। जहां तक पूरे शहर की बात है तो हम ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर करने की कोशिश हम कर रहे हैं।
सवालसडक़ों के ड्रेनेज सिस्टम बेहतर हो और सडक़ खराब न हों इसके लिए क्या कर रहे हैं
जवाबशहर की सडक़ों के निर्माण के समय पानी निकासी की सही व्यवस्था हो इसका आगे से ध्यान रखेंगे। जिससे सडक़ पर पानी जमा नहीं होगा और सडक़ें उखडऩे से बच सकेंगी।
सवालआखिर सडक़ों पर गड्ढेे होते ही क्यों हैं
जवाबबारिश में सडक़ों पर पानी जमा होने से स्थिति बिगड़ती है।

प्रॉपर ड्रैनेज की व्यवस्था नहीं
गड्ढे होने का बड़ा कारण सडक़ों पर पानी का जमाव होना है। शहर में अधिकांश स्थानों पर प्रॉपर तरीके से ड्रैनेज सिस्टम नहीं है। जरा सी बारिश में सडक़ पर पानी जमा हो जाता है, जिससे डामर धुल जाता है और गिट्टी निकल जाती हैं। सडक़ पर पानी जमा नहीं हो तो गड्ढे होने की संभावना कम होती है।

मेरा पता : चेतकपुरी कॉलोनी

ठेकेदार को फायदा
नगर निगम द्वारा करीब 10 लाख की लागत से लैब तैयार की गई थी। इसमें सडक़ों के निर्माण के समय सैंपल लेकर जांच की जाती थी, लेकिन यह लैब 3 साल से बंद है। लैब टेक्नीशियन की मौत के बाद से इस पर ताला लगा है। ठेकेदार द्वारा सडक़ की क्वालिटी की जांच निजी लैब से कराई जा रही है। यहां सैंपल ठेकेदार लेकर खुद जाते हैं। जबकि शहर में पीडब्ल्यूडी और एमआईटीएस कॉलेज में भी लैब हैं, लेकिन यहां जांच नहीं कराई जाती है। इससे निगम को हर साल लाखों का नुकसान हो रहा है। इसके बावजूद अधिकारी लैब को चालू नहीं करा रहे हैं। सडक़ों की गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है।

 

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मेरा पता : बाबा कपूर की दरगाह मार्ग पर।

मॉनीटरिंंंग का अभाव
सडक़ों की खस्ता हालत के लिए अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। सडक़ निर्माण के समय मॉनीटरिंग करनी होती है, लेकिन अधिकारी साइट पर जाते ही नहीं हैं, जिसके कारण ठेकेदार क्या सामग्री इस्तेमाल कर रहा है, इसका पता नहीं चलता है। बाद में यही सडक़ें उखड़ जाती हैं।

 

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मेरा पता : गुप्तेश्वर से तिघरा रोड

जानिए, आखिर क्यों हो रहे हैं गड्ढे
शहर में अमृत योजना के तहत सीवर और पानी की लाइन डालने का कार्य किया जा रहा है, इसके लिए ठेकेदार द्वारा सडक़ों को खोदा गया, लेकिन उन्हें ठीक से दुरुस्त नहीं किया गया। जिसके कारण गड्ढे हो गए हैं। इसके अलावा कई ऐसी सडक़ें हैं, जहां अमृत के तहत कोई काम नहीं किया गया है, फिर भी वहां गड्ढे हैं। इसकाकारण सडक़ निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया जाना है। दरअसल, सडक़ निर्माण से पहले उसका बेस सही ढंग से तैयार करना होता है। सडक़ कई लेयर से बनती है।

 

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मेरा पता : हिरण्यवन कोठी के सामने।

सबसे पहले मिट्टी की खुदाई कर लेवल किया जाता है, इसके बाद डब्ल्यूबीएम गिट्टी डाली जाती है, इसके ऊपर मुरम डालकर रोलर चलाकर समतल किया जाता है, उस पर डामर में मिली गिट्टी बिछाकर रोलर चलाया जाता है। इसके बाद फिर इस पर बारीक गिट्टी बिछाकर रोलर चलाया जाता है, तब जाकर सडक़ तैयार होती है।

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मेरा पता : विजया नगर का हाल

लेकिन ठेकेदार फायदे के चक्कर में सही ढंग से इसकी लेयर नहीं बनाते हैं। डब्ल्यूबीएम गिट्टी महंगी होती है, जिसके कारण बड़े साइज के बजाए छोटी गिट्टी और उसके साथ मिट्टी डालकर लेयर बना देते हैं। बेस कमजोर होने से बारिश होने पर डामर घुल जाता है और गड्ढे हो जाते हैं।

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मेरा पता : बहोड़ापुर रोड

चार लेयर की होनी चाहिए सडक़
सडक़ों का निर्माण करते समय उसके ड्रेनेज सिस्टम को भी ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा सडक़ निर्माण में 4 लेयर होती हैं उनका सही ढंग से पालन करना चाहिए। ठेकेदार द्वारा अक्सर फायदे के चक्कर में मटेरियल कम डाला जाता है। जिससे कुछ समय में ही सडक़ें उखड़ जाती हैं। अगर अधिकारी सही ढंग से मॉनिटरिंग करें तो यह स्थिति ही नहीं बने।
दिनेश शर्मा, सिविल इंजीनियर

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