हनुमान जयंती कब है, जानिए कैसे मनाएं यह पर्व?
पूजन में चंदन, सिन्दूर, अक्षत, कनेर, गुड़हल या गुलाब के पुष्प प्रयोग करें। नैवेद्य में मालपुआ, बेसन के लड्डू आदि लें तब आरती कर संकल्प लेकर अपनी समस्या के अनुसार मंत्र जप करें। साथ ही उनके पूजन की शिवार्चन के जैसी सरल साधना विधि है। पूर्णत: सात्विक रहते हुए हनुमानजी का पूजन-भजन करना चाहिए अन्यथा देव कोप भोगना पड़ सकता है। साधारणतया हनुमान प्रतिमा को चोला चढ़ाते हैं।1 अप्रैल से हो जाइय़े सावधान, लागू हो रहे हैं मोदी सरकार के ये नए नियम…..पढ़िए वर्ना पछताएंगे
हनुमानजी की कृपा प्राप्त करने के लिए मंगलवार को तथा शनि महाराज की साढ़े साती,अढैया,दशा,अंतरदशा में कष्ट कम करने के लिए शनिवार को चोला चढ़ाया जाता है। साधारणतया मान्यता इन्हीं दिनों की है,लेकिन दूसरे दिनों में रवि,सोम,बुध, गुरु ,शुक्र को चढ़ाने का निषेध नहीं है। चोले में चमेली के तेल में सिन्दूर मिलाकर प्रतिमा पर लेपन कर अच्छी तरह मलकर, रगड़कर चांदी या सोने का वर्क चढ़ाते हैं। श्री हनुमान कलयुग के शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले देवता हैं। मात्र स्मरण करने से ही वे कृपा करते हैं। उग्र भी हैं,प्रमाद व लापरवाही उन्हें बिलकुल अच्छी नहीं लगती अत: सावधानी आवश्यक है। वहीं मंत्रों के प्रयोग से कष्ट दूर कर हनुमानजी की कृपा प्राप्त की जा सकती है तो आइए जानते है हनुमान जी के ११ मंत्र।बड़ी खबर : रेत माफिया-पुलिस का स्टिंग करने वाले पत्रकार की डंपर से कुचलकर मौत,घटना CCTV में कैद
1. ‘ॐ हं हनुमते नम:।’वाद-विवाद, न्यायालय आदि के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
2. ‘ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्।’
शत्रु से अधिक भय हो, जान-माल का डर हो, तो यह प्रयोग उचित रहेगा।
3. ‘ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा।’
हनुमानजी के दर्शन सुलभ होते हैं, यदि नित्य यह पाठ किया जाए।
4. ‘ॐ नमो हरि मर्कट मर्कटाय स्वाहा।’
शत्रु बलवान होने पर यह जप निश्चित लाभ देता है।
5. ‘ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।’
असाध्य रोगों के लिए इस मंत्र का प्रयोग करें।
6. ‘ॐ नमो भगवते हनुमते नम:।’
सर्व सुख-शांति के लिए यह मंत्र जपें।
7. ‘दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।’
कठिन कार्यों की सफलता के लिए।
8. ‘और मनोरथ जो कोई लावै, सोई अमित जीवन फल पावै।’
इच्छापूर्ति के लिए।
9. ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, ***** बर दीन जानकी माता।’
ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए।
रुद्राक्ष माला, ब्रह्मचर्य व लाल वस्त्रासन का प्रयोग करें। पूर्वाभिमुख हो जप करें। यथाशक्ति जप कर उपलब्ध साधनों से १ माला हवन करें, मंत्र सिद्ध हो जाएगा। उपरांत नित्य १ माला कार्य होने तक करें, बीच में बंद नहीं करें।
बहोड़ापुर स्थित गरगज के हनुमान मंदिर का निर्माण दो सौ साल पहले महाराजा जनकोजी राव सिंधिया के शासन काल में कराया गया था। यहां पं.पूर्णानंद शर्मा की पीढ़ी पूजा पाठ कर रही है। पहले जिस पहाड़ पर मंदिर बना है वहां से गडगड़़ की आवाज आती थी, इस कारण इनका नाम गडगड़़ के हनुमान हो गया,जो बाद में गरगज के हनुमान के नाम से जाना जाने लगा। यहां पहले सुबह जन्म की आरती की गई और रुद्राभिषेक किया गया।
संकट मोचन महाराज का मंदिर रेलवे लाइन के ठीक पास है और उसके उपर से ब्रिज बना हुआ है। मंदिर से जुड़े लोग बताते हैं कि करीब 60 के दशक में जब यह पुल बन रहा था तो उस वक्त इंजीनियरों ने हनुमान जी को रास्ता नहीं दिया और पुल का निर्माण कर डाला। पुल निमार्ण के कुछ दिनों बाद ही पुल के बीच में दरार आ गई। पुल की दरार को एक बार फिर से दुरुस्त किया गया, लेकिन कुछ दिनों पर वहीं पर फिर से दरार आ गई।
बड़ी खबर : अब बूंद-बूंद को तरसेगा शहर एमपी का ये सबसे बड़ा शहर
यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा। पुल की दरार से परेशान अधिकारी मंदिर के महंत के पास पहुंचे और व्यथा सुनाई। लोग बताते हैं कि उस वक्त मंदिर के प्रमुख महंत ने अधिकारियों को यही बताया कि आपने हनुमान जी को रास्ता नहीं दिया और पुल बना दिया। इसलिए ये परेशानी आ रही है। इसके बाद हनुमान जी को वहां से रास्ता दिया और उसके बाद आजतक पुल में कभी दरार नहीं आई।बहोड़ापुर स्थित बालाजी धाम का निर्माण १६ अप्रैल २००० को जन सहयोग से कराया था। यहां प्रेत बाधाएं दूर करने के साथ जटिल रोगों का उपचार भोग विधि से किया जाता है। आज सुबह बालाजी सरकार का अभिषेक के साथ हवन व महाआरती की गई।
पड़ाव पुल के नीचे स्थित मंशापूर्ण हनुमान मंदिर तीन सौ साल पुराना है। इस मंदिर की पूजापाठ टोंटा गुरु की पांचवीं पीढ़ी रमेश दुबे, गोपाल दुबे कर रहे हैं। मंदिर की विशेषता यह है कि जन कल्याण के लिए यहां १० अप्रैल १९९७ से अखण्ड रामायण का पाठ निरतर चल रहा है। जो भक्त यहां मुराद लेकर आते है, उनकी मुराद पूरी होती हैं।