इस अस्पताल में भर्ती प्रसुताओं ने उजागर की है चौंका देने वाली सच्चाई, सुनेंगे तो हैरान रहा जाऐंगे
शिवपुरी। जिला सहित पूरे देश को ओडीएफ बनाए जाने का अभियान चल रहा है। इसी क्रम में जिले के कुछ गांव तो खुले में शौच से मुक्त हो भी गए, लेकिन अभियान की हकीकत तो शिवपुरी जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट से महज दो सौ मीटर की दूरी पर नपा कार्यालय के सामने स्थित नाले में हर दिन सुबह खुल रही है, जहां घूमने जाने वाले महिला-पुरुष व बच्चे यह देखते हैं कि नाले में एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों महिलाएं शौच के लिए जा रही हैं। यह महिलाएं शहर की न होकर जिला अस्पताल में भर्ती प्रसूताओं की अटेंडर हैं, जो दूसरे गांव से आकर तीन-चार दिन तक रुकती हैं। जब महिलाओं से पूछा तो वे बोलीं कि हमें अस्पताल स्टाफ अंदर नहीं जाने देता, इसलिए हम खुले में शौच के लिए जा रहे हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस नाले में महिलाएं बैठ रहीं हैं, उसके सामने ही नपा की नवनिर्मित टॉयलेट है, जिसका फीता काटने के बाद सफाई कराना भूल गए। इतना ही नहीं महिलाओं वाले शौचालय का ताला अभी तक नहीं खुला। यह महज एक ऐसी तस्वीर है, जो जिला मुख्यालय पर स्वच्छता अभियान की कलई खोलने के लिए पर्याप्त है।
यह बोलीं महिलाएं मारौरा, रोनाखेड़ी, झलवासा की ये महिलाएं जब हाथ में लोटा लेकर निकलीं तो उनसे पूछा कि आप लोग बाहर क्यों जा रही हो, अस्पताल में कोई सुविधा नहीं है क्या?। तो वे बोलीं कि अंदर तो सिर्फ मरीज को ही जाने देते हैं, हमसे तो यह कह देते हैं कि यह क्या तुम्हारे लिए बनाया है। दूसरी जगह पर पैसा मांगा जाता है, इसलिए हम खुले में जा रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि अस्पताल परिसर में ही सुलभ कॉम्पलेक्स भी मौजूद है, बावजूद इसके अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन शहर में इस तरह जगह-जगह गंदगी फैला रहे हैं।
नपा के हाल भी बदहाल बीते लगभग 15 दिन पूर्व अस्पताल के इस पिछले गेट के सामने ही सड़क के दूसरी ओर नपा ने नवीन टॉयलेट बनाया, जिसमें पुरुष व महिला के लिए अलग-अलग व्यवस्था है। फीता काटने के बाद नपा के जिम्मेदार महिला टॉयलेट का ताला खोलना तथा अंदर हुई गंदगी को साफ करवाना भूल गए। स्थिति यह है कि उसमें पुरुष टॉयलेट के पास ही गंदगी पड़ी हुई है। यह टॉयलेट नपा कार्यालय के गेट के पास नाले के किनारे ही बनाया है।
कुछ ऐसा रहता है नजारा जिला अस्पताल में हर दिन 30 से 35 प्रसव होते हैं, तथा प्रसव के बाद भी महिलाएं तीन से चार दिन तक रुकती हैं। जच्चा वार्ड में भर्ती प्रसूताओं के साथ उनके परिवार की महिलाएं भी रहती हैं, जो हर सुबह हाथ में लोटा या बोतल में पानी भरकर पीछे वाले गेट से बाहर निकलते ही नाले में उतर जाती हैं। यह प्रक्रिया अलसुबह से शुरू होकर सुबह 7.30 बजे तक चलती रहती है। चार से पांच महिलाओं का यह ग्रुप जब निकलता है तो शहर में स्वच्छता अभियान की सच्चाई को उजागर कर देता है। इन हालातों के गवाह शहर के वो सभी लोग हैं, जो हर दिन अलसुबह से शहर के पोलोग्राउंड व कलेक्टे्रट की ओर घूमने जाते हैं। इनमें हर वर्ग के लोग इस उम्मीद में सुबह निकलते हैं कि ताजी व स्वच्छ हवा मिलेगी, लेकिन शहर में स्थिति कुछ दूसरी ही नजर आती है।
जिला अस्पताल में हर दिन 30 से 35 प्रसव होते हैं, तथा प्रसव के बाद भी महिलाएं तीन से चार दिन तक रुकती हैं। जच्चा वार्ड में भर्ती प्रसूताओं के साथ उनके परिवार की महिलाएं भी रहती हैं, जो हर सुबह हाथ में लोटा या बोतल में पानी भरकर पीछे वाले गेट से बाहर निकलते ही नाले में उतर जाती हैं। यह प्रक्रिया अलसुबह से शुरू होकर सुबह 7.30 बजे तक चलती रहती है। चार से पांच महिलाओं का यह ग्रुप जब निकलता है तो शहर में स्वच्छता अभियान की सच्चाई को उजागर कर देता है। इन हालातों के गवाह शहर के वो सभी लोग हैं, जो हर दिन अलसुबह से शहर के पोलोग्राउंड व कलेक्टे्रट की ओर घूमने जाते हैं। इनमें हर वर्ग के लोग इस उम्मीद में सुबह निकलते हैं कि ताजी व स्वच्छ हवा मिलेगी, लेकिन शहर में स्थिति कुछ दूसरी ही नजर आती है।
अस्पताल के अंदर मरीजों के टॉयलेट को उनके परिजन उपयोग कर सकते हैं, कोई मना नहीं कर सकता। वैसे तो परिजनों के लिए परिसर में सुलभ कॉम्पलेक्स भी है, जिसमें बहुत कम पैसे लगते हैं। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को खुले में जाने की आदत है, इसलिए वे कुछ भी आरोप लगाकर बाहर जा रही हैं। डॉ. गोविंद सिंह, सिविल सर्जन जिला अस्पताल शिवपुरी
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