मंशापूर्ण शिवजी का नाम लिया तो बच गई जान
सिहोनिया गांव के विश्वनाथ व्यास एक बार ऊपर चढ़ गए और आसन लगाकर बैठ गए तभी पत्थर टूटा और वे नीचे गिरे, लेकिन उन्होंने मंशापूर्ण शिवजी का ध्यान किया तो वे जिंदा बच गए। इस पर वे जीवित रहने तक रोज गाय के साथ मंदिर आकर अभिषेक करते रहे। अभी भी यदि सच्चे मन से कोई मंशापूर्ण शिवमंदिर में आराधना करता है और मनौती मांगता है तो वह पूरी होती है।
इतिहास को लेकर स्पष्ट मत नहीं
सास-बहू अभिलेख के आधार पर यह माना गया है कि ककनमठ मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में कछवाह राजा कीर्तिराज ने अपनी शिवभक्त रानी ककनावती के लिए 1015 से 1035 के बीच करवाया था। सिहोनिया के उत्तर-पश्मिच में चार किमी दूर स्थित खजुराहो शैली में बने ककनमठ की ऊंचाई 115 फीट के करीब है। निर्माण में कहीं मशाले का उपयोग नहीं दिखता है। मंदिर देखकर लगता है कि यह गिरने वाला है, लेकिन एक हजार साल से ऐसा ही खड़ा है।
मंदिर से जुड़े हैं कई रहस्य
लोग कहते हैं कि ये मंदिर भूतों ने एक रात में बनाया था और आज भी रात में मंदिर के परिसर में कोई रूक नहीं पाता। यही नहीं इसके अलावा यहां और कई रहस्य हैं, जो अभी तक सुलझे नहीें हैं। मंदिर 1000 साल पुराना है और कंकड़ों से बनाया है। ऐसा लगता है कि ये अभी गिर पड़ेगा, लेकिन गिरता नहीं है। ये मंदिर अपने आप में एक रहस्य है और अब तक इसके रहस्य कोई सुलझा नहीं पाया है।
यह शिवमंदिर एक हजार साल से ऐसा ही खड़ा है। पुरातात्विक महत्व से तो इसकी पहचान विश्व भर में है और एएसआई ने संरक्षित स्मारक भी घोषित कर दिया है, लेकिन बाहर के लोग यह नहीं जानते कि इसमें स्थापित शिवलिंग की मंशापूर्ण के रूप में मान्यता है।
“सिहोनिया के ककनमठ में स्थापित शिवलिंग जिले का सबसे प्राचीन है। श्रावण की पूर्णिमा से एक दिन पूर्व यहां कांवर से लाया गया गंगाजल अर्पित किया जाता है।”
अशोक शर्मा, जिला पुरातत्व अधिकारी