ग्वालियर

इस शिवलिंग के आशीर्वाद से अटलजी बने थे प्रधानमंत्री!

एक बार अटलजीपैतृक गांव बटेश्वर आए, औरयमुना में नहाने के बाद मंदिरोंके दर्शन को चले गए। जब वहमोटेश्वर महादेव मंदिर पहुंचेतो उन्हें बताया गया कि जो भीव्यक्ति इन महादेव को अपनीबाहों में भर लेता है और उससमय जो भी मनोकामना करता है,वह पूरी हो जाती है।

ग्वालियरDec 25, 2016 / 12:37 am

rishi jaiswal

moteshwer mahadev

ग्वालियर। पूर्वप्रधानमंत्री अटल बिहारीवाजपेयी का 25 दिसंबरको जन्मदिन हैं। उनका जन्मग्वालियर में हुआ था, लेकिनउनका पैतृक गांव बटेश्वर आगरासे 70 किमी दूर है।इस गांव को सभी तीर्थों काभांजा कहा जाता है। 
अटलजी कागांव बटेश्वर एक समय में डाकुओंके कारण कुख्यात था और अब यहांके शिव मंदिरों के कारण विख्यातहै। यमुना नदी के किनारे बसेइस गांव में आज भी अटलजी केमित्र और परिवार के सदस्य रहतेहैं। यहां यमुना किनारे101 शिव मंदिर हैं।उन्हीं में से एक मोटेश्वरमहादेव मंदिर भी है । गांव केलोग और अटलजी के परिजनों केअनुसार अटलजी मोटेश्वर महादेवकी कृपा के चलते ही देश केप्रधानमंत्री बने थे।
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 भरलिया महादेव को बाहों में

अटलजी के परिजनोंके अनुसार प्रधानमंत्री बननेसे पहले पारिवारिक कार्यक्रमोंमें हिस्सा लेने अटलजी यहांआते थे। प्रधानमंत्री बननेके बाद भी वे यहां आए। परिजनोंके अनुसारएक बारऐसे ही अटलजी गांव आ गए, औरयमुना में नहाने के बाद मंदिरोंके दर्शन को चले गए। जब वहमोटेश्वर महादेव मंदिर पहुंचेतो उन्हें बताया गया कि जो भीव्यक्ति इन महादेव को अपनीबाहों में भर लेता है और उससमय जो भी मनोकामना करता है,वह पूरी हो जाती है।
जानकारी के अनुसारयहां मंदिर में पहुंचे अटलजीसभी की बातें सुन रहे थे,इतने में ही गांव केएक बुजुर्ग ने उनसे कहालला तुम भी अपने लिएकुछ मांग लो। पहले तो अटलजीकुछ सकुचाए, फिरमंदिर में जाकर शिवलिंग केसामने खड़े हो गए। कुछ पल बादजमीन पर बैठ गए और शिवलिंग कोअपनी बाहों में भर लिया,फिर कहां मुझे देश काप्रधानमंत्री बनना है। समयके साथ उनकी ये मनोकामना पूरीहो गई।
भयंकर बाढ़ मेंबह गया था मंदिर

इस मंदिर मेंशिवलिंग की ऊंचाई करीब एक मीटरसे ज्यादा है। जबकि गोलाई काव्यास करीब 7 फीटहै। बुजुर्गों के अनुसार 1962में आई भयंकर बाढ़ मेंयह मंदिर बह गया था। केवलशिवलिंग ही बचा था। उसके बादसे यहां अस्थाई ढांचा बना दियागया। बताया जाता है कि मंदिरमें आने वाले लोग शिवलिंग कोअपनी बाहों में लेने की कोशिशकरते हैं, लेकिन वहऐसा नहीं कर पाते।
बटेश्वर का इतिहास

अंग्रेजी इतिहासकारकलिंघम ने अपनी पुस्तक मेंलिखा है कि आगरा के ताजमहल सेपहले बटेश्वर में सफेद पत्थरके दो मंदिर थे। खोज के दौरानकलिंघम को मिला शिलालेख लखनऊके म्यूजियम में अब भी सुरक्षितहै। बटेश्वर गौरवशाली तीर्थहै, जिसमें सतयुग,त्रेता, द्वापरयुग का इतिहास छिपा हुआ है।यहां जैन तीर्थकर भगवान नेमिनाथकी जन्मस्थली भी है। इस प्राचीनतीर्थस्थल का उल्लेख लिंगपुराण, मत्स्य पुराण,नारद पुराण तथामहाशिवपुराण में भी है।महाशिवपुराण के अंतर्गत कोटिरुद्र संहिता के अध्याय 2में श्लोक 19 मेंइस तीर्थ की चर्चा है। दिवालीसे पहले यहां पर विशाल पशुमेले का आयोजन भी किया जाताहै।
परमाणु विस्फोटसे अमेरिका भी रह गया था हैरान

बुद्ध मुस्कराएऔर फिर तत्कालीन प्रधानमंत्रीअटल बिहारी वाजपेयी ने पोखरणमें परमाणु बम का परीक्षा करकेपूरी दुनिया को भारत की ताकतका अहसास कराया था। इस विस्फोटकी तैयारी गुपचुप ऐसे की गई,कि अमेरिकी खुफियाएजेंसी सीआईए भी इसका अनुमाननहीं लगा पाई। बाद में ग्वालियरआए अटलजी ने इस परमाणु विस्फोटकी तैयारियों का राज खोला था।
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दरअसल 1998 मेंजब भारत में राजस्थान के पोखरणमें परमाणु बम का विस्फोट करकेघोषणा की तो पूरी दुनिया हैरानरह गई। उस समय के प्रधानमंत्रीअटल बिहारी वाजपेयी के साथरक्षा वैज्ञानिकों, खासतौरसे राष्ट्रपति रहे एपीजे कलामने गुपचुप ढंग से तैयारी कीथी।
वहीं इसके बादकारगिल युद्ध में पाकिस्तानको करारी हार का सामना पीएमरहे अटल बिहारी की रणनीति केकरण करना पड़ा।

ग्वालियर मेंखोला था परमाणु विस्फोट काराज

12 साल पहले जबअटल बिहारी ग्वालियर आए थे।तब उन्होंने एक कार्यक्रममें बताया था कि े पीएम रहेनरसिंह राव ने उनसे कहा था किपरमाणु विस्फोट आप ही कर सकतेहैं।
यहां अटलजी नेबड़े चुटीले अंदाज में बतायाकि जब वे नरसिंह राव के बादपीएम का चार्ज ले रहे थे,तब उन्होंने एक पर्चीपर लिखकर कहा था, तैयारीपूरी है, आप परमाणुबम विस्फोट कर दो।

इसके बाद जैसेही मौका मिला, अटलजीने 1998 में पोकरण मेंपरमाणु विस्फोट करके पूरीदुनिया को हैरान कर दिया। इसपरीक्षण की सबसे अनोखी बातयह रही कि दुनिया की सभी खुफियाएजेंसी पहले से इसका कुछ भीपता नहीं लगा पाईं थी।

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