शहर के गली, मोहल्लों में देवी पूजा के पांडाल सजकर तैयार हो गए। इस दौरान पूजा, उपवास एवं व्रत रखकर श्रद्धाभाव से लोग शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की उपासना करेंगे। नवरात्र के दौरान नारी शक्ति जैसे मां, बेटी या बहन का अपमान करने पर साधक की साधना भंग होने की बात पंडितों द्वारा कही जा रही है।
आज से नवरात्र शुरू: नवरात्र एक ऐसी नदी है, जो भक्ति और शक्ति के तटों के बीच है बहती कामाख्या शक्ति पीठ के साधक आचार्य वाचस्पति शास्त्री का कहना है कि देवी शक्ति पुराण में भी ऐसा उल्लेख आता है। नारी शक्ति का अंग मानी जाती है। उन्होंने बताया कि कामाख्या तंत्र रहस्य के अनुसार
” शक्तिमूलं साधनश्च शक्तिमूलं जपादिकम्। शक्तिमूला गतिश्चैव शक्तिमूलश्च जीवन्” उन्होंने बताया कि नवरात्र में पूजा, अनुष्ठान, व्रत एवं उपासना के दौरान शक्ति स्वरूपा की साधना की जाती है। इस दौरान स्त्री जाति का सम्मान करना चाहिए। समग्र स्त्रियों का मात्रवत मानकर उनका सम्मान करना चाहिए। भूलकर भी किसी नारी को गलत शब्दों के साथ अपमानित न करें। प्रतिदिन साधक को त्रिकाल पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान जप, कवच आदि का पाठ करें। पूजा, पाठ के दौरान जन कल्याण के भाव को मन में रखना चाहिए।
इस महाशुभ मुर्हूत में करें मां शारदा की घटस्थापना तो बरसेगी मां की कृपा,नौ दिनों में ये होंगे मुर्हूत शुभ कार्यो के लिए ऐसे करें कलश स्थापना
पवित्र स्थान की मिट्टी लाकर वेदी बनाएं। फिर सामर्थ के अनुसार सोना, चांदी अन्य धातु या फिर मिट्टी का कलश रखें। कलश पर स्वास्तिक बनाएं। कलश के पास ही मां दुर्गा का चित्र रखें। कलश में स्वच्छ जल, गंगाजल, पान-सुपारी, रोली, हल्दी डालें। कलश से मौली बांधें। कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें। उसके ऊपर इंद्र जौ या फिर गेंहू को एक पात्र में रखकर लाल कपड़े में नारियल को बांधकर रखें।
पवित्र स्थान की मिट्टी लाकर वेदी बनाएं। फिर सामर्थ के अनुसार सोना, चांदी अन्य धातु या फिर मिट्टी का कलश रखें। कलश पर स्वास्तिक बनाएं। कलश के पास ही मां दुर्गा का चित्र रखें। कलश में स्वच्छ जल, गंगाजल, पान-सुपारी, रोली, हल्दी डालें। कलश से मौली बांधें। कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें। उसके ऊपर इंद्र जौ या फिर गेंहू को एक पात्र में रखकर लाल कपड़े में नारियल को बांधकर रखें।
उपवास के दौरान रहें संयमित
व्रत के दौरान साधक को संयमित रहना चाहिए। कटु शब्दों का त्याग कर देना चाहिए। व्रत के दौरान क्रोध करना। पान मसाला, तंबाकू, गुटखा, दिन में सोना, क्रोध, गाली गलौज करना, बार-बार आहार ग्रहण करने से व्रत भंग होता है। व्रत में जल औषधि, दूध ले सकते हैं। इसके अलावा चुकंदर, गाजर, अदरक इत्यादि कंदमूल फल ले सकते हैं। व्रत काल शुरू होने के बाद बीच में नहीं तोडऩा चाहिए। ऐसा करने से साधक को महादोष लगता है। उपासना शुरू होने के बाद साधक पर सूतक का दोष प्रभावशाली नहीं होता है।
व्रत के दौरान साधक को संयमित रहना चाहिए। कटु शब्दों का त्याग कर देना चाहिए। व्रत के दौरान क्रोध करना। पान मसाला, तंबाकू, गुटखा, दिन में सोना, क्रोध, गाली गलौज करना, बार-बार आहार ग्रहण करने से व्रत भंग होता है। व्रत में जल औषधि, दूध ले सकते हैं। इसके अलावा चुकंदर, गाजर, अदरक इत्यादि कंदमूल फल ले सकते हैं। व्रत काल शुरू होने के बाद बीच में नहीं तोडऩा चाहिए। ऐसा करने से साधक को महादोष लगता है। उपासना शुरू होने के बाद साधक पर सूतक का दोष प्रभावशाली नहीं होता है।