मॉरीशस में बीता जोया का बचपन
जोया का बचपन मॉरीशस में बीता। उनके पिता टूरिज्म इंडस्ट्री में थे। उनका मन था कि जोया भरतनाट्यम सीखे, लेकिन जोया शास्त्रीय संगीत से एकदम अनिभिज्ञ था, लेकिन उसे डांस में इंट्रेस्ट था। इंडिया आने पर जोया के पिता ने उसे गुडग़ांव में भरतनाट्यम की क्लास लेने भेज दिया। तब उसने भरतनाट्यम के बेसिक्स सीखे। सिंधिया स्कूल आने पर उसे ‘अरंगेत्रम’ की प्रैक्टिस शुरू कराई गई और चार साल में उसने शिक्षा पूरी कर ली।
अब वायलिन और बैडमिंटन को दूंगी समय
जोया ने बताया कि मुझे स्पोट्र्स में भी बहुत इंट्रेस्ट है। पिछले चार साल में मैंने वायलिन और बैडमिंटन को बहुत मिस किया। जब भी समय मिलता, अरंगेत्रम की प्रैक्टिस में लग जाती, लेकिन अब मैं वायलिन और बैडमिंटन को पूरा समय दूंगी। जोया ने बताया कि मैं जब भी प्रैक्टिस करती, तो मेरी सहेली वृंदा बंसल, आम्रा चन्द्र और साम्भवी साहू पूरा सपोर्ट करतीं। उनकी वजह से और प्रिंसिपल निशि मिश्रा मैम के कारण ही मैं सफल हो सकी।
अरंगेत्रम के बारे में
अरंगेत्रम की नौ कृतियां आती हैं। इनमें पुष्पाजंलि, अल्लारिपु, जतीश्वरम, कृष्ण शब्दम्, कार्तिकेय वर्णनम्, नटराज कीर्तनम्, दुर्गा शलोकम्, शिव कीर्तनम्, तिल्लाना व मंगलम् शामिल हैं। इन नौ कृतियों में दुर्गा, शिव, नंदी, नटराज की विभिन्न मुद्राओं को दर्शाया जाता है। इन कृतियों में नट्टई, सावेरी, मालिका, पूर्व कल्याणी, रेवती, संकारा, हिंडोलम् रागों का समावेश होता है।

