इसकी जांच के दौरान 64 हितग्राहियों ने बताया कि उनको राशि नहीं मिली है, जबकि 43 शौचालयों का कहीं नामोनिशान तक नहीं था और राशि आहरित कर ली गई थी। 29 हितग्राही गांव में निवासरत नहीं थे। जांच के दौरान 128 शौचालय ही बने हुए मिले। जांच में अधिकारियों द्वारा लीपापोती किए जाने के बाद अब फिर से शिकायत की गई है, ताकि वास्तविक दोषियों पर कार्रवाई हो सके।
इन मृतकों को मिला लाभ
जिन मृतकों के नाम लाभ दिया गया उनमें विद्या धाकड़, प्रभुदयाल धाकड़, अनेगा धाकड़, काशीराम धाकड़, रामचंद्र धाकड़, गोधा आदिवासी, रघुवीर तोमर, पुन्ना देवलाल, पप्पू आदिवासी पुत्र ग्यासी को हितग्राही बनाकर आवास और शौचालय का पैसा भुगतान कर दिया गया।
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शासकीय कर्मी भी बनाए हितग्राहीजिन्हें हितग्राही बनाया गया उनमें जगदीश सिंह पेशे से शिक्षक हैं, कारंदा आदिवासी, कल्याण आदिवासी शासकीय पे्रस में हैं,माखन तोमर एफसीआइ में हैं, बटोई रजक तहसील में चौकीदार हैं, जनक सिंह शिक्षक हैं, अशोक सिंह न्यायालय में है।
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हितग्राही कोई, पैसा किसी और खाते में
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गांव में जितने भी शौचालय और प्रधानमंत्री आवास बने हैं, उनमें आर्थिक अनियमितताएं हुई हैं। हितग्राहियों के हिस्से के 11 लाख 4 हजार रुपए दूसरों के खाते में अंतरित किए गए हैं। मृतकों को हितग्राही बनाकर पैसा निकाला गया है, इसकी जांच में भी अनियमितताएं बरती जा रही हैं, अब हमने फिर से इसकी जांच के लिए संभागायुक्त को आवेदन दिया है।
करन सिंह धाकड़, शिकायतकर्ता-निवासी उम्मेदगढ़