जहां पुलिस नहीं, वहां नियम नहीं
ट्रैफिक पुलिस मानती है लोग यातायात के नियम मानेंगे तो रोड एक्सीडेंट पर काबू होगा, लेकिन जहां पुलिस दिखती है वहां वाहन चालक नियम मानते हैं, पुलिस हटी नियम का पालन भी खत्म होता है। नियमों की अनदेखी को लोग रसूख समझते हैं। यातायात थाना प्रभारी (झांसी रोड) अभिषेक रघुवंशी कहते हैं युवाओं में तेज रफ्तार ड्राइविंग और ट्रैफिक के नियम को नहीं मानने का चलन बढ़ा है।
4 साल में 1346 की मौत
वर्ष | कुल एक्सीडेंट | सामान्य | गंभीर एक्सीडेंट | सामान्य चोट | गंभीर चोट | घातक एक्सीडेंट | मौत |
2020 | 1799 | 1169 | 95 | 1234 | 95 | 300 | 316 |
2021 | 1830 | 1186 | 78 | 1262 | 78 | 324 | 359 |
2022 | 2057 | 1334 | 91 | 1407 | 91 | 326 | 306 |
2023 | 1896 | 1280 | 52 | 1379 | 52 | 318 | 319 |
हादसों में युवा ज्यादा शिकार
पिछले साल एक्सीडेंट के 2057 केस थे। इस साल 1896 दर्ज हुए हैं। लेकिन जान गंवाने वाले ज्यादा हैं। अभी तक कुल 319 लोगों की जान गई है 1431 जख्मी हुए हैं। मृतकों में 215 से ज्यादा और घायलों में करीब 840 वाहन चालक युवा हैं।
एक्सपर्ट व्यू
यह बात सही है लोग ट्रैफिक के नियम मानें तो एक्सीडेंट कम होंगे। हैरानी होती है जो लोग शहर में यातायात के नियम को नहीं मानते शहर के बाहर जाने पर यातायात के नियमों का पूरी तरह पालन करते हैं। वाहन चालकों की दोहरी मानसिकता ट्रैफिक को बिगाड़ती है। इसके अलावा ट्रैफिक इंजीनियरिंग की खामी भी एक्सीडेंट की दूसरी बड़ी वजह है। एक्सीडेंट पर लगाम कसने के लिए पुलिस को भी जिम्मेदार होना पड़ेगा। सिर्फ जुर्माना वसूली तक सीमित रहने से हालात नहीं सुधरेंगे। कम उम्र के वाहन चालक, लाइसेंस के बिना ड्राइविंग करने वालों को जुर्माना वसूल कर छोडऩा ठीक नहीं है। ऐसे वाहन चालक दूसरों के लिए खतरा हैं। इन पर ठोस कार्रवाई की जरूरत है। तब एक्सीडेंट ग्राफ कम होगा।
– दीपक भार्गव, रिटायर्ड सीएसपी