ग्वालियर

HERITAGE GWALIOR: आजादी के बाद से रानी मृगनयनी के गांव में न बिजली है, न पानी, खंभे हो गए जर्जर

HERITAGE GWALIOR: आजादी के बाद से रानी मृगनयनी के गांव में न बिजली है, न पानी, खंभे हो गए जर्जर

ग्वालियरJun 11, 2018 / 10:42 am

Gaurav Sen

HERITAGE GWALIOR: आजादी के बाद से रानी मृगनयनी के गांव में न बिजली है, न पानी, खंभे हो गए जर्जर

पवन दीक्षित @ ग्वालियर

राजा मानसिंह तोमर ने रानी मृगनयनी से विवाह के बाद ग्वालियर के किले के लिए नलकेश्वर का पानी पिलाने के लिए जहां एक ओर पानी की पाइप लाइन बिछवाई थी। उस समय रानी के गांव राई में सर्वयुक्त सुख-सुविधाएं थीं। आज इस राई गांव के लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। गांव में बिजली न होने के कारण लोगों को पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। यहां बिजली सप्लाई के लिए बीजेपी एवं कांग्रेस सरकारों की अलग-अलग बिजली लाइनें बिछी है। इन बिजली लाइनों को बिछाए जाने में हर बार भ्रष्टाचार हुआ है। दोनों बिजली लाइनों को पोल उखड़े हुए हैं। तार भी चोरी हो चुके हंै।

 

बीजेपी-कांग्रेस के शासन में लगे खंभे बने शोपीस
आजादी के बाद जिले के अधिकांश गांव व कस्बे की स्थिति में सुधार हो गया। राई गांव, पूरनपुरा और अर्जुनपुरा, इन तीनों गांव की दूरी एक दूसरे से दो से ढाई किलोमीटर है। इन गांवों की स्थिति में सुधार नहीं हो सका। इन गांवों में बिजली देने के लिए कांग्रेस की दिग्विजय सिंह शासन काल में बिजली की लाइन बिछाई गई थी। बिजली पोलों को पोल खड़ा किया गया था। इसके बाद बीजेपी की शिवराज सरकार में भी अटल ज्योति योजना के तहत बिजली लाइनें बिछाई गईं। यह दोनों सरकारों के अलग-अलग बिजली लाइनें आज भी है। यह लाइनें जगह-जगह टूटी है। पोल उखड़े हैं। इन बिजली पोल लगाते समय भ्रष्टाचार जमकर हुआ। बिजली पोलों को जंगल एरिया में दो से ढाई फीट गाढ़े गए। निचले हिस्से में सीमेंट-क्रंकीट न होने की वजह से धीरे-धीरे ये बिजली पोल तेज आंधी में एक के बाद एक उखड़ते गए। पिछले सालों में उखड़े बिजली पोलों को हर साल बदलवाए जाते रहे। मई महीने में आई आंधी में यहां के बिजली पोल धराशायी हो गए। यह बिजली पोल टूटने की वजह से तीनों गांव में अंधेरा छाया हुआ है। वहीं दूसरी ओर पीने के पानी का संकट खड़ा हुआ है। गांव के लोगों का कहना है कि पीने पानी के संकट की वजह से जानवरों को जंगल में खुला छोड़ा जा रहा है। वहीं कई जानवरों की मौत भी हो गई।

 

जंगल की पगडंडी से गांव का रास्ता
पत्रिका टीम ने इन तीनों गांव की स्थिति को देखा। यह गांवों सोनचिरैया अभ्यारण परिधि में आते हैं। इसलिए आज तक इन गांव के लिए पक्का रास्ता नहीं बन सका। बरई से आगे चलकर जंगल के रास्ते होकर अर्जुन पुरा, फिर पूरन पुरा इसके बाद मृगनयनी का गांव (तिघरा डेम बनने के बाद स्थापित किया गया था) आता है। इन गांवों में पहुंचने के लिए तिघरा के कैचमेंट एरिया के लिए बने कई नालों को पार करके जाना होता है। बारिश के समय ये गांव मुख्य धारा से कट जाते हैं। नालों में उफान आने की वजह से आवागमन बंद होजाता है।


दो फीट पर गाढ़ दिए खंभे
बिजली खंभे लगाने के दौरान खूब भ्रष्टाचार हुआ। खंभों को सिर्फ दो फीट गड्ढे खोद कर ही गाढ़ दिया गया जो आंधी व जरा सी हवा से ही उखड़ गए।

 

मेंटेनेंस नहीं होने से टूटीं लाइनें, लाखन सिंह यादव, विधायक, भितरवार
कांग्रेस शासन में इन गांव में लाइनें बिछाई गई थीं। यह लाइनों का मेंटेनेंस नहीं किया गया। फिर अटल ज्योति की लाइन बिछाई। यह लाइन भी आंधी में टूटी चुकी है। मृगनयनी के गांव के लिए मैंने सड़क का प्रयास किया। फोरेस्ट विभाग ने सौन चिरैया एरिया बताते हुए मेरे बड़े भाई बीएस यादव पर एफआइआर दर्ज कर दी। इसलिए काम बंद हो गया।

 

जानवर भी प्यासे

बिजली न होने से पेयजल संकट राई, अर्जुनपुरा और पूरनपुरा में है। यहां दो बार बिजली लाइनें बिछाई गई। दोनों बिजली लाइन उखड़ चुकी है। तार चोरी हो गए। जानवर बिना पानी के प्यासे मर रहे हैं।
सरनामसिंह गुर्जर, गांववासी
 

gwalior fort
कोई मदद नहीं

मैंने सीएम हेल्प लाइन पर शिकायत की। यह तीनों गांव पावा पंचायत में आते हैं। सीएम हेल्प लाइन पर शिकायतदर्ज कर्ता द्वारा पावा पंचायत ग्वालियर में न होने की बात कही गई। इसके बाद बोला, कि मैं आपकी शिकायत दर्ज करता हूं।
सुनील गुर्जर, गांववासी

नाले उफान मारते हैं
बारिश के दौरान इन गांव की स्थिति बेकार होती है। नाले उफान मारते हैं। रास्ता न होने से गांव के लोग दैनिक रोजमर्रा की चीजों को भी तरस जाते हैं।
रामनिवास गुर्जर, गांववासी

Hindi News / Gwalior / HERITAGE GWALIOR: आजादी के बाद से रानी मृगनयनी के गांव में न बिजली है, न पानी, खंभे हो गए जर्जर

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.