बहन के रिश्ते से नाखुश भाई ने उठाया ऐसा कदम, रेलवे स्टेशन पर मच गया हड़कंप ब्राह्मण परिवार में हुआ था जन्म
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को यूपी के वाराणासी के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मर्णिकनिका जिन्हें प्यार से सब मनु कहते थे। उनका विवाह मई 1842 में मात्र 14 वर्ष की आयु में झांसी के महाराजा राजा गंगाधर राव नेवालकर से हुआ। ये शादी का कार्ड उसी वक्त जारी किया गया था। विवाह की इस पत्रिका में मूर्हूत के साथ उनके विवाह की तारीख आदि में अंकित है। ये विवाह पत्रिका अपने आप में दुर्लभ दस्तावेज है।
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को यूपी के वाराणासी के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मर्णिकनिका जिन्हें प्यार से सब मनु कहते थे। उनका विवाह मई 1842 में मात्र 14 वर्ष की आयु में झांसी के महाराजा राजा गंगाधर राव नेवालकर से हुआ। ये शादी का कार्ड उसी वक्त जारी किया गया था। विवाह की इस पत्रिका में मूर्हूत के साथ उनके विवाह की तारीख आदि में अंकित है। ये विवाह पत्रिका अपने आप में दुर्लभ दस्तावेज है।
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अस्त्र-शस्त्र से शौर्य आता है नजर
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की गाथा आप सभी ने किताबों में पढ़ी और सुनी होगी। लेकिन इस संग्राम की गाथा के प्रतीक रानी लक्ष्मीबाई के अस्त्र-शस्त्र बलिदान मेले में लगाई जा रही एग्जीबिशन में देखी जा सकती है। इन अस्त्र-शस्त्र के माध्यम से रानी का शौर्य और पराक्रम भी नजर आएगा। ये शस्त्र नगर निगम म्यूजियम में रखे हुए हैं, जिन्हें आप देख सकते हैं। इन्हें रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर डिस्प्ले किया जाएगा, जिसके बाद लोग इन्हें देख सकेंगे।
अस्त्र-शस्त्र से शौर्य आता है नजर
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की गाथा आप सभी ने किताबों में पढ़ी और सुनी होगी। लेकिन इस संग्राम की गाथा के प्रतीक रानी लक्ष्मीबाई के अस्त्र-शस्त्र बलिदान मेले में लगाई जा रही एग्जीबिशन में देखी जा सकती है। इन अस्त्र-शस्त्र के माध्यम से रानी का शौर्य और पराक्रम भी नजर आएगा। ये शस्त्र नगर निगम म्यूजियम में रखे हुए हैं, जिन्हें आप देख सकते हैं। इन्हें रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर डिस्प्ले किया जाएगा, जिसके बाद लोग इन्हें देख सकेंगे।
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ऐसा रहा रानी लक्ष्मीबाई का जीवन
आपको बता दें कि लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में 19 नवंबर 1828 को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था। उनकी मां का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। मोरोपंत एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे। माता भागीरथीबाई एक सुसंस्कृत,बुद्धिमान और धर्मनिष्ठ साल की थी तब उनकी मां की मृत्यु हो गयी। क्योंकि घर में मनु की देखभाल के लिए कोई नहीं था इसलिए पिता मनु को अपने साथ पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरबार में ले जाने लगे। जहां चंचल और सुन्दर मनु ने सब लोग उसे प्यार से “छबीली” कहकर बुलाने लगे। मनु ने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा के साथ शस्त्र की शिक्षा भी ली।
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आपको बता दें कि लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में 19 नवंबर 1828 को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था। उनकी मां का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। मोरोपंत एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे। माता भागीरथीबाई एक सुसंस्कृत,बुद्धिमान और धर्मनिष्ठ साल की थी तब उनकी मां की मृत्यु हो गयी। क्योंकि घर में मनु की देखभाल के लिए कोई नहीं था इसलिए पिता मनु को अपने साथ पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरबार में ले जाने लगे। जहां चंचल और सुन्दर मनु ने सब लोग उसे प्यार से “छबीली” कहकर बुलाने लगे। मनु ने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा के साथ शस्त्र की शिक्षा भी ली।
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सन् 1842 में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ और वे झाँसी की रानी बनीं। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया। परन्तु चार महीने की उम्र में ही उसकी मृत्यु हो गयी। सन् 1853 में राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गयी। पुत्र गोद लेने के बाद 21 नवंबर 1853 को राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी। दत्तक पुत्र का नाम दामोदर राव रखा गया।
सन् 1842 में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ और वे झाँसी की रानी बनीं। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया। परन्तु चार महीने की उम्र में ही उसकी मृत्यु हो गयी। सन् 1853 में राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गयी। पुत्र गोद लेने के बाद 21 नवंबर 1853 को राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी। दत्तक पुत्र का नाम दामोदर राव रखा गया।
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18 साल की उम्र में थामी झांसी की बागडोर
रानी लक्ष्मीबाई बेहद कम उम्र में ही झांसी की शासिका बन गई। जब उनके हाथों में झांसी राज्य की कमान आई तब उनकी उम्र महज 18 साल ही थी। उनकी शादी 14 साल से भी कम उम्र में झांसी के मराठा शासक गंगाधर राव से हुई।
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