ग्वालियर

MP में यहां मिले आदिमानव की मौजूदगी के निशान, यूनेस्को की लिस्ट में शामिल हुआ ये शहर

Shivpuri of MP Listed in UNESCO: आर्कियोलॉजी विभाग की टीम ने भेजी थी सर्वे रिपोर्ट, यूनेस्को ने किया अस्थाई सूची में शामिल…

ग्वालियरMar 17, 2024 / 09:01 am

Sanjana Kumar

शिवपुरी में स्थित प्राचीन भरका खोह, जहां गुफाओं के पत्थरों पर ऐसी पेंटिंग मिली हैं।

Shivpuri of MP Listed in UNESCO: संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने मध्यप्रदेश के कुछ दर्शनीय स्थलों को अपनी अस्थाई सूची में लिया है। जिसके लिए उन्होंने अलग-अलग स्थानों के कलस्टर बनाए हैं। ऐसे ही एक कलस्टर रॉक आर्ट साइट्स ऑफ द चंबल वैली (Cluster Rock Art Sites of the Chambal Valley) में शिवपुरी (Shivpuri) के कुछ स्थानों को शामिल किया है। शिवपुरी सहित ग्वालियर-चंबल (Gwalior-Chambal) में सर्वे करने वाली टीम में शामिल प्रोफेसर एसडी सिसौदिया का कहना है कि यदि इनका बेहतर ढंग से सर्वे हो जाए तो आदिमानव के ठिकानों को प्रमाणिकता मिलने के बाद विश्व पटल पर शिवपुरी का नाम चमकेगा।

सर्वे में शामिल रहे जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के आर्कियोलॉजी प्रोफेसर एसडी सिसौदिया ने बताया कि शिवपुरी के टुंडा-भरका, इमलिया, कलोथरा, भरका खोह में बहुत ऐसे दुर्लभ चित्र व अन्य सामग्री मिली है, जो आदिमानव के पाषाणकाल से जुड़ी हुई हैं।

बकौल सिसौदिया, हमारा पूरा एरिया इस दृष्टिकोण से समृद्धशाली है तथा यहां से कई संस्कृतियों का उद्भव व विकास हुआ है। हमारी टीम में शिवपुरी के अभय जैन भी शामिल रहे तथा हमने पूरा एरिया का सर्वे किया। इसमें शिवपुरी के पोहरी व मुरैना के पहाडगढ़ के बीच आसन नदी है, जिसमें कुंती ने कर्ण को बहाया था, जो महाभारत के समय का है।

सिसौदिया का कहना है कि हमारे पास वो संसाधन नहीं हैं, इसलिए हमने अपनी रिपोर्ट स्टेट आर्कियोलॉजी को भेज दी थी तथा भोपाल के वर्कशॉप में भी हमने बताया था। यदि इसका सही तरीके से सर्वेक्षण हो जाए तो शिवपुरी के जंगल-पहाड़ों और गुफाओं में वो चीजें मिलेंगी कि विश्व पटल में वह स्थान अपना नाम दर्ज कराएंगे।

 


सर्वे में शामिल रहे एडवोकेट अभय जैन ने बताया कि आदिमानव के तीन युग हैं, पेजियोलेथिक, मेजियोलेथिक, नियोलेथिक। जिसमें आदिमानव ने अपने औजारों को बदलने के साथ ही गाड़ी भी बनाई थी। शिवपुरी के भरका खोह, कलोथरा, इमलिया, करसेना क्षेत्र में पहाड़ हैं, जिनमें भोट टाइप गुफा हैं, जिनमें पेंटिंग बनी हैं। आदिमानव आते-जाते समय जहां पर रुकते थे, वहां की दीवारों पर पेंटिंग बनाते थे। शिवपुरी में यह रॉक पेंटिंग अलग-अलग समय की बनी हैं। अभय ने बताया कि यूनेस्को ने अभी कलस्टर बनाए हैं, जिसमें माना है कि उस समय की पेंटिंग थीं। इसे वल्र्ड हेरिटेज साइट में शुमार अभी नहीं किया है, लेकिन इसे उन्होंने सर्वेक्षण में शामिल कर लिया है।

 


यूनेस्को की अस्थाई सूची में शामिल ग्वालियर संभाग के शिवपुरी के जंगलों में सर्वेक्षण के बाद जो संभावनाएं तलाशी जा रही हैं, वे मिल जाती हैं तो फिर इसे यूनेस्को अपनी स्थाई सूची में शामिल कर लेगा। फिर यह स्पॉट हेरिटेज में शामिल होने के साथ ही शिवपुरी दुनिया में पहचाना जाएगा तथा यहां बड़ी संख्या में सैलानी उसे देखने के लिए आएंगे। जिससे शिवपुरी में टूरिज्म भी बढ़ेगा।

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शिवपुरी सहित चंबल एरिया में भी कई ऐसे स्थान हैं, जहां पर सघन सर्वेक्षण की जरूरत है। सर्वे में जो मिला है, उससे यह पूरी संभावना है कि आदिमानव के ठिकाने इस एरिया में रहे हैं तथा कई संस्कृतियों का यहां से उद्भव हुआ है। ऐसा हुआ तो विश्व पटल पर शिवपुरी चमकेगा।
-एसडी सिसौदिया, आर्कियोलॉजी प्रोफेसर जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर

एसपी 16013, 14- शिवपुरी में स्थित प्राचीन झरना भरका खोह, जहां गुफाओं के पत्थरों पर ऐसी पेंटिंग हैं

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