यह कहना था एमबीए चायवाला (MBA Chai Wala India) प्रफुल्ल बिलोरे (Prafull Billore) का। वह गुरुकुल ड्रीम फाउंडेशन की ओर से आइआइटीटीएम में आयोजित इंटरेक्शन सेशन में शामिल होने ग्वालियर आए थे। इस अवसर पर मुस्कान ड्रीम फाउंडेशन के सीईओ अभिषेक दुबे, गुरुकुल ड्रीम फाउंडेशन के संस्थापक आकाश बरुआ उपस्थित रहे।
मैग्जीन ‘रेजुविनेट’ का विमोचन
कार्यक्रम में गुरुकुल फाउंडेशन की मैग्जीन ‘रेजुविनेट’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर अक्षांश दीक्षित, विवेक चौहान, राशि अग्रवाल उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन इशिता रोचलानी और टीना छाबड़ा ने किया।
सुबह वेटरी करता और रात में पढ़ता था किताबें
मैंने अहमदाबाद में डिलेवरी बॉय का काम किया, जहां मुझे एक घंटे के 37 रुपए मिलते थे। कुछ समय बाद प्रमोशन हुआ और मैं वेटर बन गया। मुझे किताबें पढ़ने का शौक था। दिन में नौकरी और रात में किताबें पढ़ता था। नए-नए विचार दिमाग में आते। एक दिन दिमाग में आया कि बाहर की कंपनियां अगर बर्गर बेचकर इतना कमा सकती हैं तो मैं क्यों नहीं। क्यों न मैं खुद का स्टार्टअप शुरू करूं।
सरकारी नौकरी के बजाए स्टार्टअप शुरू करें
प्रफुल्ल ने हर-हर स्टार्टअप, घर-घर स्टार्टअप पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आप सरकारी नौकरी की ओर भागना बंद करें। स्टार्टअप शुरू करें, जो अन्य लोगों को रोजगार के मौके भी देगा। जीवन में कुछ भी छोटा और बड़ा नहीं होता। आपको जो अच्छा लगता है वो करें। ये न देखें कि दुनिया क्या कहेगी। क्योंकि वही दुनिया जब आप सफल होंगे तब आपके साथ खड़ी होगी।
सफलता के सूत्र…