ग्वालियर

एजेके थानों में पुलिस बल कम फिर भी सुलझा रहे केस

चंबल रेंज में एससी-एसटी एक्ट के केस को लेकर करीब छह महीने से एक्सरसाइज चल रही थी, इसका नतीजा है कि इस साल रेंज में सिर्फ 10 मामले लंबित हैं। बाकी सब प्रकरणों को सुलझा लिया गया है।

ग्वालियरDec 21, 2019 / 08:04 pm

राजेश श्रीवास्तव

एजेके थानों में पुलिस बल कम फिर सुलझा रहे केस

ग्वालियर. समाज के कमजोर वर्ग की सुरक्षा के लिए नियम सख्त हैं, लेकिन लोगों में जागरुकता की कमी है, इसलिए कई बार पीडि़त पक्ष कानून और मदद की जानकारी के अभाव में परेशान रहता है। लेकिन अब हालात में सुधार हो रहा है, खासकर चंबल रेंज में एससी-एसटी एक्ट के केस को लेकर करीब छह महीने से एक्सरसाइज चल रही थी, इसका नतीजा है कि इस साल रेंज में सिर्फ 10 मामले लंबित हैं। बाकी सब प्रकरणों को सुलझा लिया गया है। अनुसूचित जाति, जनजाति थाने के अफसर कहते हैं कि विभाग में बल की कमी है। अगर स्वीकृत फोर्स के लिए हिसाब से बल दिया जाए तो काम में और मदद मिलेगी। इस संबंध में आलोक कुमार सिंह एसपी एजेके चंबल रेंज से पत्रिका एक्सपोज की चर्चा।
अनुसूचित जाति, जनजाति के मामलों में विवेचना का स्तर क्या रहता है? पुलिस के सामने इंवेस्टीगेशन में क्या समस्याएं आती हैं?
इसमें कई बातों की गहराई से पड़ताल करनी होती है। अक्सर मामलों में द्वेषवश लोगों को फंसाने की कोशिश भी रहती है, इसलिए हर पहलू को परखा जाता है, जैसे कि फरियादी और आरोपी के बीच पुरानी पहचान, जगह जहां घटना हुई है वह सार्वजनिक है या एकांत है, ऐसे पहलुओं को देखकर केस की जांच की जाती है।
चंबल रेंज में इस साल लंबित मामलों को सुलझाने में कायमाबी हासिल की है। इसके पीछे क्या स्टे्रटजी रही है?
चंबल रेंज एजेके पुलिस ने पेंडिंग मामलों को सुलझाने में कठिन मेहनत की थी। पिछले छह महीने से हर केस पर अतिरिक्त महानिदेशक सहित वरिष्ठ अफसर नजर रखे थे। प्रकरणों को लेकर कई बार मीटिंग हुई। उसका नतीजा है कि इस बार चंबल रेंज में 122 लंबित प्रकरण थे उन्हें समेट कर सिर्फ 10 तक सीमित कर दिया है।
एजेके थानों में फोर्स की क्या स्थिति है? पर्याप्त बल के हिसाब से काम में क्या समस्याएं आती हैं?
एजेके थानों के लिए स्वीकृत बल की गिनती तो काफी है, लेकिन उसके हिसाब से बल थानों को नहीं मिला है, इससे काम पर असर पड़ता है। अगर फोर्स बढ़ेगा तो इंवेस्टीगेशन ऑफिसर से लेकर आरोपियों की पकड़ करने के लिए भी बल रहेगा। बल की कमी से कुछ काम तो प्रभावित होता ही है।

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