इसलिए बाद में नाम बदल गया
साहित्यकार विनोद मिश्र के अनुसार पूर्वमें मंदिर के पास पाखर का बड़ा पेड़ था। इस बजह से पहले यह स्थान पखारिया वाले महादेव के नाम से जाना जाता था। धीरे – धीरे यह पखारिया महादेव से पकौडिय़ा महादेव कहलाने लगे। बर्तमान में मंदिर के आसपास का पूरा क्षेत्र ही पकौडिय़ा महादेव के नाम से जाना जाता है।
सिद्धेश्वर मंदिर शिवपुरी , ओमकारेश्वर से लाया गया था मंदिर में स्थापित शिवलिंग
मनोकामना पूर्ण होने पर घंटी चढ़ाते हैं श्रद्धालु
ग्वालियर. कमलाराजा चिकित्सालय गेट के सामने स्थापति प्राचीन घंटेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास लगभग 100 वर्ष पूर्व पुराना है। पहले यह मंदिर छोटे स्वरूप में हुआ करता था। यहां इलाज कराने आने वाले जिन मरीजों की मनोकामना पूर्ण हो जाती थी वह यहां घंटी चढ़ा जाते थे, इसलिए घंटेश्वर महादेव नाम पड़ गया। बाद में मंदिर का निर्माण निर्माण किया गया। श्रावण मास में यहां अटेंडर और मरीज आकर पूजा अर्चना करते हैं।