नृत्यांगनाओं ने विभिन्न मुद्राओं से किया भाव विभोर
कार्यक्रम के अंत में अपनी सहयोगी नृत्यांगनाओं के साथ मधुराष्टकं पर आधारित सामूहिक ओडिया नृत्य प्रस्तुत किया। इस शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से नृत्य की विभिन्न मुद्राओं और भावों से अधरं मधुरं की प्रस्तुति देते हुए भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप का वर्णन किया। इस अवसर पर फाउंडर चांसलर रमाशंकर सिंह, चांसलर रूचि सिंह चौहान, प्रो चांसलर दौलत सिंह चौहान, वाइस चांसलर प्रोफेसर एसएस भाकर, प्रो-वाइस चांसलर प्रो. एसएन खेडकऱ, रजिस्ट्रार डॉ. ओमवीर सिंह, उप कुलसचिव अनिल माथुर उपस्थित रहे। संचालन जयंत तोमर ने किया।
कार्यक्रम के अंत में अपनी सहयोगी नृत्यांगनाओं के साथ मधुराष्टकं पर आधारित सामूहिक ओडिया नृत्य प्रस्तुत किया। इस शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से नृत्य की विभिन्न मुद्राओं और भावों से अधरं मधुरं की प्रस्तुति देते हुए भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप का वर्णन किया। इस अवसर पर फाउंडर चांसलर रमाशंकर सिंह, चांसलर रूचि सिंह चौहान, प्रो चांसलर दौलत सिंह चौहान, वाइस चांसलर प्रोफेसर एसएस भाकर, प्रो-वाइस चांसलर प्रो. एसएन खेडकऱ, रजिस्ट्रार डॉ. ओमवीर सिंह, उप कुलसचिव अनिल माथुर उपस्थित रहे। संचालन जयंत तोमर ने किया।
बचपन से स्कूलों में पढ़ाया जाए शास्त्रीय नृत्य-संगीत
छात्रों को संबोधित करते हुए पद्मश्री विदुषी माधवी मुद्गल ने कहा कि बचपन से ही मुझे शास्त्रीय नृत्य बहुत पसंद था, घर का माहौल और माता-पिता के सहयोग से मुझे पूरे विश्व में शास्त्रीय नृत्य का प्रदर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है भारतीय संस्कृति को सहेजने की। विदेशों में कक्षा एक से ही म्यूजिक-डांस की पढ़ाई अनिवार्य है। भारत में भी शास्त्रीय संगीत, नृत्य की पढ़ाई स्कूलों में अनिवार्य की जानी चाहिये। जिससे भारतीय बच्चे और युवा एवं नई पीढ़ी भारतीय परंपरा संस्कृति को जानें, पहचाने और उसे अपना सकें।
छात्रों को संबोधित करते हुए पद्मश्री विदुषी माधवी मुद्गल ने कहा कि बचपन से ही मुझे शास्त्रीय नृत्य बहुत पसंद था, घर का माहौल और माता-पिता के सहयोग से मुझे पूरे विश्व में शास्त्रीय नृत्य का प्रदर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है भारतीय संस्कृति को सहेजने की। विदेशों में कक्षा एक से ही म्यूजिक-डांस की पढ़ाई अनिवार्य है। भारत में भी शास्त्रीय संगीत, नृत्य की पढ़ाई स्कूलों में अनिवार्य की जानी चाहिये। जिससे भारतीय बच्चे और युवा एवं नई पीढ़ी भारतीय परंपरा संस्कृति को जानें, पहचाने और उसे अपना सकें।
कथक नृत्य की प्रस्तुतियां आज
आइटीएम नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन 4 अप्रेल को कथक केंद्र नई दिल्ली की मंडली समूह कथक नृत्य की प्रस्तुति देगी। यह प्रस्तुति होरी धूम मच्योरी पर आधारित होगी। 5 अप्रैल को श्रीराम भारतीय कला केंद्र नई दिल्ली के कलाकार मीरा समूह पर आधारित नृत्य की प्रस्तुति देंगेे।
आइटीएम नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन 4 अप्रेल को कथक केंद्र नई दिल्ली की मंडली समूह कथक नृत्य की प्रस्तुति देगी। यह प्रस्तुति होरी धूम मच्योरी पर आधारित होगी। 5 अप्रैल को श्रीराम भारतीय कला केंद्र नई दिल्ली के कलाकार मीरा समूह पर आधारित नृत्य की प्रस्तुति देंगेे।