ग्वालियर

फिर एक्टिव हुआ नया पश्चिमी विक्षोभ, 28-29 जनवरी को एमपी मे बारिश का नया अलर्ट जारी

मौसम विभाग ने एक बार फिर प्रदेशभर में नए पश्चिमी विक्षोभ का अलर्ट जारी किया है। इसके प्रभाव से कई जिलों में बारिश की भविष्यवाणी भी की गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं क्या है पश्चिमी विक्षोभ, कहां गिराएगा टेम्प्रेचर, कहां कराएगा बारिश…

ग्वालियरJan 27, 2024 / 02:39 pm

Sanjana Kumar

मौसम विभाग ने एक बार फिर नए पश्चिमी विक्षोभ का अलर्ट जारी कर दिया है। इसके कारण प्रदेशभर में एक बार फिर मौसम बिगड़ने वाला है। तापमान में गिरावट दर्ज की जा सकती है, तो कहीं वृद्धि। यही नहीं कई जिलों में बारिश के आसार भी हैं। सर्दियों का मौसम शुरू होते ही इस बार कई बार एक साथ कई पश्चिमी विक्षोभ एक्टिव होने से मौसम विज्ञान केंद्र ने बारिश के अलर्ट जारी किया है। लेकिन क्या आप जानते हैं वास्तव में पश्चिमी विक्षोभ क्या है और ये कैसे मौसम को प्रभावित करता है…

यहां पढ़ें पश्चिमी विक्षोभ क्या है कैसे बिगाड़ता है मौसम Facts

– भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में उत्तर-पश्चिम की ओर से चलने वाली चक्रवातीय हवा व्यवस्था को पश्चिमी विक्षोभ कहा जाता है। इसकी उत्पति उत्तरी अटलांटिक से मानी जाती है, यह भूमध्यसागर होते हुए भारतीय उपमहाद्वीप पहुंचता है, ये पवनें भूमध्यसागर से नमी ग्रहण करती हैं।

– शीतकाल में मध्य एशिया में उच्च दाब का केंद्र बन जाता है, जिसके कारण शीतोष्ण कटिबंधीय पछुआ पवनें हिमालय के उत्तरी भाग तक चलने लग जाती हैं। इस क्रम में कई बार ये पवनें हिमालय पर्वत को भी पार कर लेती हैं, इससे उत्तरी भाग में तापमान में गिरावट आ जाती है और भारी बर्फबारी होती है। वास्तव में ये उत्तरी-पश्चिमी भाग से आने वाले चक्रवात हैं, जो भूमध्यसागरीय से ईरान और पाकिस्तान होते हुए भारत में प्रवेश करते हैं।

– पश्चिमी विक्षोभों को भारत पहुंचने में पश्चिमी जेट पवनें मदद करती हैं।

– पश्चिमी भारत में शीत ऋतु में भूमध्यसागर से उठने वाले उत्तर-पश्चिमी चक्रवातों से होने वाली वर्षा को स्थानीय भाषा में ‘मावठ’ कहा जाता है। भारत के पश्चिमी दिशा से प्रवेश के कारण इसे पश्चिमी विक्षोभ कहा जाता है। चूंकि यह एक चक्रवात है, इसलिए इसे विक्षोभ का नाम दिया गया है।

– यह वर्षा उत्तर-पश्चिमी भारत, उत्तर भारत और उत्तर-पूर्वी भारत (राजस्थान, पंजाब, हरियाणा,दिल्ली एवं उत्तर-पश्चिमी उत्तर प्रदेश) के इलाकों में होती है और फसलों के लिए अच्छी मानी जाती है। लेकिन ये वर्षा जरा देर से हो तो फसलों को काफी नुकसान पहुंचाती है।

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– पश्चिमी विक्षोभ कभी-कभी उत्तरी पर्वतीय राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के साथ-साथ उत्तर पूर्वी राज्यों की ओर बढ़ता है, जबकि कई बार यह पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार के माध्यम से दक्षिण क्षेत्रों की ओर बढ़ता है।
– खास बात ये है कि गर्मी में यह विक्षोभ लोगों को राहत दिलाता है, लेकिन मौसम के लिहाज से यह हमेशा अच्छा नहीं होता।

– कभी-कभी यह विक्षोभ अपने साथ बहुत खतरनाक मौसम लेकर आता है। जैसे बाढ़, बादल फटना, लैंडस्लाइड, धूल भरी आंधी, ओलावृष्टि और हाड़ कंपा देने वाली ठंडी हवाएं।
– इस बार कई जगह यही स्थिति देखने को मिली है। इसलिए बेमौसम बारिश हो तो उसके पीछे इसी पश्चिमी विक्षोभ को कारण माना जाता है।

– पूर्व में जाएं तो 2013 में उत्तराखंड त्रासदी इसी विक्षोभ के चलते हुई थी, जिसमें 5000 से अधिक लोगों की जान गई थी।
– 2018 में देश में खतरनाक धूल भरी आंधी भी इसी का परिणाम थी।

– 2014 में कश्मीर में बाढ़ की घटना या 2010 में लेह में बादल फटने की घटना, इन सबके पीछे पश्चिमी विक्षोभ ही जिम्मेदार रहा।
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जनवरी में बारिश का ट्रेंड फेक्ट्स

– दरअसल जनवरी के आखिरी दिनों में प्रदेश में बारिश होने का ट्रेंड बना हुआ है। इस बार भी राज्य में इन दिनों में मौसम कुछ ऐसा ही रहेगा। प्रदेश में दो दिन तक यानि 28 और 29 जनवरी को हल्की बरसात होने का अनुमान है।

– मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के कारण मौसम में यह बदलाव होगा। खासतौर पर जबलपुर संभाग में पानी गिरने का अनुमान है। प्रदेश के मंडला, डिंडौरी, सिवनी और बालाघाट जिलों में बारिश होने के आसार जताए गए हैं।

– राजधानी भोपाल में पिछले कई सालोें से जनवरी के अंतिम दिनों में पानी गिरने का ट्रेंड है। भोपाल में पिछले 10 साल में से 7 बार जनवरी में बारिश हुई है। पिछले साल जनवरी के आखिरी दिनों में तो जोरदार बरसात हुई थी। 26 जनवरी 2023 को ही 17.2 मिमी बारिश हुई थी।

– इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर में भी जनवरी के अंतिम दिनों में बरसात होती रही है।

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