चंबल संभाग में आस्था का केंद्र है यह मंदिर, राजाशाही ठाट-बाट से होती पूजा-अर्चना… उस समय एक पेड़ के नीचे देवी मां की मूर्ति मिली थी। जिसके बाद धीरे-धीरे मंदिर श्रद्धालुओं के सहयोग से भव्यता पा गया और आज स्थिति मंदिर के ठीक सामने से गुजर रही एक सदी पुरानी श्योपुर-ग्वालियर नैरोगेज रेल लाइन पर भी रेल विभाग ने स्टेशन बनाा दिया। बताया गया है कि सुदूर जंगल में आवागमन के साधनों के अभाव में श्रद्धालुओं की मंाग पर वर्ष 1975 में रेलवे ने मंदिर के ठीक सामने ही श्योपुर-ग्वालियर नैरोगेज टे्रन का हॉल्ट स्टेशन बना दिया।
सरकारी योजना का लाभ लेने दंपती ने बनाया ऐसा प्लान, जिसने भी सुना रह गया हैरान यही वजह है कि बीते 45 सालों से यहां से गुजरने वाली ट्रेन रुकती है और सैकड़ों श्रद्धालु इसी ट्रेन से मां के दर्शनों को आते हैं। नवरात्र के दौरान तो ट्रेनें ठसाठस भरकर चलती है। इस मंदिर में श्योपुर जिले के अलावा अन्य जिलों और राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और देश के अन्य जगहों से भी भक्त आते हैं। नवरात्र के समय खासतौर पर भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं और इस अवसर पर यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। मंदिर में बीते 30 सालों से अखंड ज्योति भी जल रही है।