ग्वालियर। अधिकारियों से साठगांठ कर न्यूनतम कीमत पर निगम की दुकानों आवंटित कराकर उन्हें किसी और को किराए पर देने वाले करीब 1302 दुकानदारों पर निगम बेदखली की कार्रवाई करने जा रहा है। निगम का मानना है कि ऐसे लोगों को दुकान और रोजगार की आवश्यकता ही नहीं थी।
बस निगम के गठजोड़ से माल कमाने के लिए आवंटन कराया था। निगम ने उक्त सभी सिकमी किराएदारों को पहले नोटिस जारी किए थे। अब कार्रवाई करने जा रहा है। इससे निगम गलियारों में उन अफसरों और कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है, जो उक्त दुकानों के आवंटनकर्ताओं के साथ मिलीभगत कर वर्षों से माल कमा रहे थे।
निगम की संपत्ति
1708 दुकानें हैं निगम की शहर में
1302 किराएदारों ने दूसरों को दीं दुकानें
223 पीढ़ी या खोखे हैं
903 चबूतरे हैं, जिस पर छोटे व्यवसायी कर रहे रोजगार
विकल्प-1
नामांतरण- वर्षों से व्यवसाय कर रहे दुकानदारों को ही असल किराएदार मानकर उनका नामांतरण करना। ऐसे नामांतरण पर निगम को सीधे तौर पर करीब 25 हजार की आय होगी। जिससे निगम को 1302 नामांतरणों पर करीब 3.25 करोड़ रु. की आय प्राप्त होगी।
वर्तमान किराया- नामांतरण के साथ ही वर्तमान किराया तय किया जाए तो निगम की आय में करीब 20 से 30 करोड़ रुपए की सालाना वृद्धि की भी संभावनाएं जताई जा रहीं हैं।
विकल्प-2
बेदखली – बिना नामांतरण और अवैध तरीके से निगम की दुकानों में व्यवसाय कर रहे लोगों को कानूनी कार्रवाई कर दुकानों से बाहर करना और पुन: आवंटन की प्रक्रिया के लिए कार्रवाई शुरू करना।
टेंडर प्रक्रिया- दुकानों को खाली कराकर पुन: दुकानों का वर्तमान कलेक्टर गाइड लाइन के रेट से आवंटन किए जाने से निगम को एक मुश्त राशि करीब 50 से 100 करोड़ मिल सकते हैं।
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