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DRDE प्रतिबंधित क्षेत्र : पहले कब्जा होने दिया, अब जवाब नहीं दे रहा निगम

DRDE प्रतिबंधित क्षेत्र : पहले कब्जा होने दिया, अब जवाब नहीं दे रहा निगम

ग्वालियरJul 19, 2018 / 12:15 pm

Gaurav Sen

drde gwalior

DRDE प्रतिबंधित क्षेत्र : पहले कब्जा होने दिया, अब जवाब नहीं दे रहा निगम

ग्वालियर. उच्च न्यायालय ने 14 मई को डीआरडीई के प्रतिबंधित क्षेत्र में अवैध निर्माण पर कार्रवाई करने के आदेश का पालन नहीं होने पर नगर निगम आयुक्त को अवमानना नोटिस जारी करते हुए उन्हें 20 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश दिए हैं।

न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति एके जोशी की युगलपीठ के समक्ष राजेश भदौरिया की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए गए। न्यायालय ने निगम के अधिवक्ता पीडी बिदुआ से पूछा कि न्यायालय द्वारा 14 मई को दिए गए आदेश नगर निगम ने क्या कार्रवाई की। इस पर निगम के अधिवक्ता ने कहा कि 31 मई 2018 को प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण करने वालों को 24 घंटे में अवैध निर्माण हटाए जाने के नोटिस दिए गए थे।

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निगम की ओर से जिन मकानों पर नोटिस चस्पा किए गए थे उनके फोटो भी प्रस्तुत किए गए, लेकिन नोटिस की कॉपी अदालत में प्रस्तुत नहीं की गई। फिर न्यायालय ने पूछा कि 24 घंटे की अवधि बीत जाने के बाद नगर निगम ने क्या कार्रवाई की? इसका जवाब नहीं आने पर नगर निगम आयुक्त को अवमानना नोटिस जारी करते हुए उन्हें 20 जुलाई को न्यायालय में हाजिर होने के आदेश दिए हैं।

अवैध निर्माण पर कार्रवाई के थे आदेश

उच्च न्यायालय ने पिछली सुनवाई पर नगर निगम को अवैध निर्माण पर कार्रवाई कर प्रतिपालन रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। साथ ही न्यायालय ने टिप्पणी भी की थी कि अवैध निर्माण को रोका क्यों नहीं जाता है। इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी आदेश दिया डीआरडीई के प्रतिबंधित क्षेत्र में जो शासकीय भवन निर्मित है वे तथा निगम के भवन एवं वे निर्माण जिनको निगम द्वारा अनुमति प्रदान की गई है वे इस मामले के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगे। निगम द्वारा न्यायालय में रिपोर्ट प्र्रस्तुत करते हुए कहा गया कि महाराणा प्रताप कॉलोनी में अवैध निर्माण किए गए हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में बने अन्य प्रायवेट भवन स्वामियों द्वारा निर्माण की अनुमति लेकर निर्माण किए हैं।

हाईकोर्ट ने पूछा क्या निगम ने कोई हेल्पलाइन बनाई है?
शहर की जनसुविधाओं को लेकर चल रही जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने निगम से पूछा कि यदि कोई जनसुविधाओं को लेकर शिकायत करना चाहता है तो क्या इसके लिए कोई हेल्पलाइन या कोई एप है। उच्च न्यायालय ने डॉ राखी शर्मा एवं सुनीता कुशवाह द्वारा प्रस्तुत जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान निगम से पूछा कि जन सुविधाओं की मानिटरिंग की क्या व्यवस्था है। पूर्व में न्यायालय द्वारा इसके लिए निगम से प्लान मांगा था। न्यायालय के आदेश के बाद निगम ने स्वच्छता को लेकर कचरा फैलाने वालों पर कार्रवाई भी की थी लेकिन यह कार्रवाई फिर बंद हो गई है।

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