ग्वालियर

माय लॉर्ड: न आर्थिक सहायता मिली, हत्या के आरोपी पुलिस कर्मियों पर 14 साल में नहीं हुई कार्रवाई

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने उस मामले की वास्तु स्थिति तलब की है, जिसमें टेंटरा थाने के 11 पुलिस कर्मियों पर फर्जी मुठभेड़ में एक व्यक्ति की हत्या का आरोप है। मृतक के परिजनों का तर्क है कि घटना को 14 साल बीत गए हैं। सीआइडी ने आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है और मानवाधिकार आयोग ने 5-5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता नहीं दी। इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई होगी।

ग्वालियरJan 20, 2024 / 11:46 am

Balbir Rawat

माय लॉर्ड: न आर्थिक सहायता मिली, हत्या के आरोपी पुलिस कर्मियों पर 14 साल में नहीं हुई कार्रवाई

दरअसल गुड्डू सिंह, सोनू सिंह, संजय सिंह, अनिल सिंह अपने परिजनों के साथ उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से मुरैना में खेती करने आए थे। ये अपने परिवार के साथ रह रहे थे, लेकिन टेंटरा पुलिस थाने ने 22 नवंबर 2010 को इन चारों की फर्जी एनकाउंटर में हत्या कर दी। दो दिनों तक शव को छिपाए रहे। जब यह मामला खुला तो थाना प्रभारी सहित 11 लोगों पर हत्या का केस दर्ज किया गया। मानवाधिकार आयोग ने मामले को संज्ञान लेते हुए मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का आदेश दिया। मामले की जांच सीआइडी कर रही है, लेकिन सीआइडी ने क्या जांच की यह स्पष्ट नहीं किया। इसको लेकर अरविंद सिंह अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने तर्क दिया कि पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर में निर्दोष लोगों की हत्या कर दी। हत्या में सभी पुलिस कर्मी शामिल है। इस कारण पुलिस ठीक से जांच नहीं कर रही है। आर्थिक सहायता भी नहीं दी है। इस हत्या में जो पुलिस कर्मी शामिल हैं, वह पुलिस विभाग में नौकरी भी कर रहे हैं। याचिकाकर्ता का तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता को निर्देश दिया है कि इस मामले की वास्तु स्थिति स्पष्ट करें।
इनके ऊपर है हत्या का आरोप

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