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गुरु की बंदिशों से कराया परिचित

ग्वालियर संगीत एक साधना है, जिसके लिए तप की आवश्यकता होती है। यह विद्या उसी के पास आती है, जो संगीत के प्रति अटूट प्रेम रखता है। पहले लोग संगीत सीखने के लिए गुरु शिष्य परंपरा का निर्वाह करते थे। यह दौर आज भी जारी है। संगीत विश्वविद्यालय में कुछ एेसा ही माहौल देखने को मिल रहा है। यह कहना था गुजरात के अंतरराष्ट्रीय कथक कलाकार हरीश सुंदरलाल गंगानी का, जो राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के कथक विभाग की ओर से आयोजित व्याख्यान एवं कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।

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