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ग्वालियर

MP Government Manifesto: नई सराकर से उम्मीदें, अटल एक्सप्रेस-वे और मेट्रो से निवेश लाओ, बीजेपी के वादों (Manifesto) की लिस्ट

MP Government Manifesto: भाजपा के संकल्प पत्र में किया था ग्वालियर-चंबल से वादा, इंदौर-भोपाल में मेट्रो चालू होने के बाद ग्वालियर को भी मिल सकती है सौगात

ग्वालियरDec 05, 2023 / 07:56 am

Sanjana Kumar

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MP Government Manifesto: प्रदेश में नई सरकार बनने वाली है, तो भाजपा को अब अंचल से किया गया वादा पूरा करने का समय भी आ गया है। भाजपा के संकल्प पत्र में एम्स की तर्ज पर स्वास्थ्य सेवाएं देने, अटल एक्सप्रेस वे से निवेश लाकर रोजगार के नए द्वार खोलने का भरोसा दिलाया गया था। यही नहीं भोपाल-इंदौर की तरह ग्वालियर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली और मेट्रो की सौगात देने का संकल्प था। ग्वालियर-चंबल में बदलाव से 2020 में भाजपा की सत्ता में वापसी हुई थी। अब फिर से अंचल की 34 में से 18 सीटों पर जीत मिली है। ऐसे में अंचल को अब नई सरकार से उसके वादा निभाने की उम्मीद भी बढ़ गई है। संकल्प पत्र के वादों को पूरा किया गया तो पूरे अंचल में बड़ा बदलाव नजर आएगा। विकास में तेजी आएगी और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र को आगे बढऩे में मदद मिलेगी।

मेट्रो चलाओ, ट्रैफिक जाम से निजात दिलाओ
इंदौर-भोपाल में मेट्रो रेल की सौगात के बाद अब ग्वालियर-जबलपुर में भी मेट्रो चलाई जा सकती है। ऐसा हम नहीं कर रहे बल्कि विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाने जा रही भाजपा के मैनोफेस्टो में ग्वालियर-जबलपुर में मेट्रो चलाए जाने का प्रस्ताव शामिल है। हालांकि नगर निगम ग्वालियर ने पूर्व में ही शहर में 27 किलोमीटर एरिया में मेट्रो लाइट रेल चलाने का प्रस्ताव मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड भोपाल को भेज रखा है और निगम ने कॉर्पोरेशन से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कराने के लिए एजेंसी नियुक्त करने मांग भी की थी। लेकिन अभी तक दोनों में से किसी को भी स्वीकृति नहीं दी गई है। यदि शहर में मेट्रो चलाई जाती है तो बढ़ते ट्रैफिक लोड को राहत मिलेगी और सरकार की भी आय बढ़ेगी।

बता दें कि शहर में बढ़ते जाम को देखते हुए कंप्रेहेंसिव मोबिलिटी प्लान (सीएमपी) बनाया गया था। यह प्लान साल 2042 तक के लिए तैयार हुआ है। सीएमपी बनाने को लेकर कई बैठकों का दौर चला। इसमें बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) पर ज्यादा पैसा खर्च होने के कारण जनप्रतिनिधि, अधिकारी, एक्सपर्ट ने लाइट मेट्रो को ही उचित माना है। मेट्रो पर 140 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की राशि खर्च होने का अनुमान लगाया गया है। वहीं कुल 3780 करोड़ रुपए खर्च होने की बात कही गई है।

 

एक इंजन और दो डिब्बे की चलेगी मेट्रो
ग्वालियर से भेजे गए प्रोजेक्ट में एक इंजन और दो डिब्बे की मेट्रो को चलाने का तय हुआ है। यह लाइट मेट्रो 27 किलोमीटर के एरिया में पहले चरण में चलाई जाएगी और फिर धीरे-धीरे इसे और बढ़ाया जाएगा।

लाइट मेट्रो चलाने बनाए जाएंगे दो कॉरिडोर

1-एयरपोर्ट तिराहे से गोल पहाडिय़ा : एयरपोर्ट से पिॆटो पार्क, भिंड रोड, गोले का मंदिर, मेला रोड, रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म-1 के बाहर पड़ाव, महारानी लक्ष्मीबाई रोड, नदी गेट, छप्परवाला पुल, शनिदेव मंदिर तारागंज पुल, गोल पहाडिय़ा, गुप्तेश्वर मंदिर तिराहा तक तय किया है। इसकी लंबाई 16 किलोमीटर तक की होगी। वहीं इससे पहले कॉरिडोर का दूसरा हिस्सा गुढ़ा गुढ़ी का नाका, कंपू रोड, 13 बटालियन अपार्टमेंट एरिया सिकंदर कंपू रोड, शनि शक्तिपीठ मंदिर, तारागंज पुल पर मिलेगा और इसकी लंबाई 5 किलोमीटर होगी।

2- चार शहर का नाका पड़ाव : हजीरा चौक, रोड, रेलवे स्टेशन, पड़ाव सर्किट पर आकर पहले कॉरिडोर से जुड़ेगा। इसका दूसरा भाग चार शहर का नाका से ट्रिपल आईटीएम होते हुए आईएसबीटी पर पहुंचेगा। इसकी लंबाई 6 किलोमीटर तय की गई है।

कमिश्नर प्रणाली बढ़ाएगी पुलिस का पावर, फोर्स की कमी रोड़ा
चुनावी वादों में भाजपा ने भरोसा दिलाया है कि सत्ता में आने पर भोपाल और इंदौर की तर्ज पर ग्वालियर और जबलपुर में भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होगी। पुलिस अधिकारी कहते हैं समय के साथ पुलिस व्यवस्था में बदलाव जरूरी है। लेकिन इसे पूरी तरह लागू किया जाए तो पुलिस की पॉवर भी बढ़ेगी और अपराधों पर कसावट भी होगी। रिटायर्ड एसपी शैलेन्द्र पांडेय का कहना है कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई, शस्त्र लाइसेंस, शराब की दुकान के लाइसेंस आवंटन, धरना प्रदर्शन, जुलूस की अनुमति, जिलाबदर करने का अधिकार पुलिस के पास होगा। लेकिन इसके लिए पर्याप्त तादात में बल की जरूरत होगी।

भोपाल और इंदौर में बल की कमी की वजह से समस्या आ रही है। दूसरे जिलों से फोर्स इंदौर भेजना पड़ रहा है। प्रणाली लागू होने के बाद भी कलक्टर पुरानी तर्ज पर काम कर रहे हैं। रिटायर्ड सीएसपी एमएल शर्मा के मुताबिक प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली महाराष्ट्र की तर्ज पर लागू होना चाहिए। पुलिस के अधिकार और शक्ति तो इससे बढ़ेगी क्योंकि अभी जिन कामों के लिए पुलिस को कलक्ट्रेट के चक्कर काटने पड़ते हैं वह उसके अधिकार में आएंगे। अपराधियों में पुलिस का खौफ होगा। लेकिन यह तभी संभव है जब प्रणाली को पूरी तरह लागू किया जाएगा।

 

एम्स की तर्ज पर मिलेगा इलाज

– सुपर स्पेशलिटी में पीजी की होगी पढ़ाई
भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में मध्य प्रदेश इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस स्थापित करने की बात कहीं है। इसके खुलने से छात्रों को दिल्ली मुंबई और अन्य बड़े शहरों में पढ़ाई के लिए नहीं जाना होगा। इससे आसपास के छात्रों को काफी फायदा मिलेाग। वहीं मरीजों को दिल्ली और भोपाल में एम्स के लिए दौड़ नहीं लगाना पडेगी। यही पर एम्स की तर्ज पर मरीजों को इलाज मिल सकेगा। वहीं संभाग में एक मेडिकल साइंस संस्थान मिलेगा। इससे सुपर स्पेशलिटी की पढ़ाई मेडिकल कॉलेज में मिल सकेगी। वहीं नये तरीके की मशीनों के साथ इलाज भी मिल सकेगा। इससे भविष्य में हर बीमारी का इलाज यहां पर संभव हो सकेगा।

किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा भी मिलनी शुरू हो जाएगी
इसके लिए अभी मरीजों को दिल्ली जैसे बड़े शहरों में जाना पड़ता है वही इसके इलाज पर काफी खर्च आता है। इसके साथ ही कार्डिक की कई सुविधाएं भी मरीजों को मिलना शुरू हो जाएंगी।

अटल प्रगति पथ बनने से ग्वालियर चंबल को मिलेगा लाभ, सर्वे होने से बढ़ेगी लागत
प्रदेश में भाजपा की सरकार आते ही अब अटल प्रगति पथ (एक्सप्रेस वे) के सर्वे होने की उम्मीद जागी है। यह सर्वे जल्द ही शुरू हो सकता है। हालांकि लोकसभा चुनाव के चलते इसका कार्य अटक भी सकता है। क्योंकि सर्वे होने में पांच महीने लग सकते है और लागत में भी वृद्धि होने की उम्मीद है। 306 किलोमीटर लंबे अटल प्रगति पथ के बनने से मप्र, राजस्थान और उप्र के राज्यों की जहां आर्थिक समृद्धि की राह खुलेगी, वहीं इटावा से कोटा का सफर छह घंटे में पूरा होगा। यह चंबल संभाग के मुरैना, श्योपुर और ङ्क्षभड जिले से गुजरगे। पूर्व में इसकी लागत 6 हजार करोड़ से बढकऱ 12 हजार करोड़ तक पहुंच गई थी। लेकिन काम पिछडऩे से लागत में अब 4000 करोड़ की वृद्धि होने से इसकी लागत बढकऱ 16000 करोड़ हो सकती है। बता दें कि पूर्व में प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण में लोगों ने विरोध किया था और प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया। लेकिन उसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज ने दोबारा सर्वे कर इसे बनाने की घोषणा की। पूर्व में हुए सर्वे में 214 गांवों की जमीन आ रही थी। इसमें करीब 18 सौ हेक्टेयर जमीन किसानों की और 500 हेक्टेयर जमीन शासकीय है।

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