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उनका कहना था कि इस पूरे संसार में सुख हो। महावीर स्वामी को जन्म कल्याणक के नाम से भी जाना जाता है। महावीर जयंती जैन समुदाय का यह सबसे प्रमुख पर्व है और महावीर जयंती के दिन जैन मंदिरों में महावीर की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है। यह भी पढ़ें
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महावीर जयंती पर हम आपको एक ऐसी जानकारी दे रहे है जिसके बारे में शायद आपने अब तक नहीं सुना होगा। मध्यप्रदेश के ग्वालियर से 22 किलोमीटर दूर ग्राम बरई स्थित जिनेश्वर धाम तीर्थ में ग्वालियर इंदौर हाइवे के किनारे भगवान महावीर स्वामी की 51 फीट ऊंची खड्गासन प्रतिमा बनाने का काम शुरू हो गया है। यह भी पढ़ें
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चिराग जैन ने बताया कि पर्वत की चट्टानों पर उकेरी प्रतिमाएं तो बहुत मिलती हैं लेकिन पत्थर की शिला को स्वतंत्र रूप से तराशकर बनाई गई है और यह देश की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इसकी कुल ऊंचाई 101 फीट होगी, जिसमें 50 फीट ऊंचा प्लेटफार्म होगा, जिसके ऊपर 51 फीट की कमल पर खड़े महावीर स्वामी की प्रतिमा होगी। यह प्रतिमा अगले साल 29 अप्रैल 2019 को महावीर जयंती पर स्थापित की जाएगी। इसके लिए जयपुर के पास मकराना से करीब पांच कारीगर चार माह से रोजाना ८ घंटे लगातार काम कर रहे हैं।
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राजस्थान से आया है पत्थरमूर्ति को बनाने के लिए 2015 में भीलवाड़ा में 280 टन वजन का पत्थर चुना गया। ग्वालियर लाने के लिए इसमें से 50 टन पत्थर की कटिंग की गई।अब इसका कुल वजन 230 टन है। पत्थर को ग्वालियर लाने में 28 दिन का समय लगा व करीब 18 लाख रुपए का खर्चा आया। बीते साल 29 जून को शिला पूजन कर मूर्ति को आकार देने का काम शुरू हुआ था, तभी से निर्माण कार्य जारी है और अगले साल देश की सबसे बड़ी मुर्ति के रूप में स्थापित की जाएगी।
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अगले साल तैयार हो जाएगी मूर्तिसुनील जैन ने बताया कि बरई के पर्वत पर अति प्राचीन मंदिर में भगवान आदिनाथ व भगवान शांतिनाथ की 13वीं शताब्दी की और भगवान चन्द्रा प्रभु व भगवान नेमीनाथ की 15वीं शताब्दी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां प्रभु के समक्ष सच्चे मन से दीप प्रज्वलित कर प्रार्थना करने से मनुष्यों को शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और उसकी सभी इच्छाए पूरी होती हैं।