ग्वालियर। आसमान में फाइटर एयरक्राफ्ट अचानक दिखाई दिया और फिर कुछ समझने से पहले ही आंखों से ओझल हो गया। इसके बाद अचानक फिर आसमान में यह एयरक्राफ्ट दिखा और दुश्मन कुछ समझ पाता, इससे पहले बमबारी करके गायब हो गया।
आसमान से ऐसी लड़ाई एक ट्रेंड फाइटर पायलट ही कर सकता है। वहीं इंडियन एयरफोर्स के पायलटों को यह गुर ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस की स्पेशल यूनिट में सिखाए जाते हैं।
हर साल चुने जाते हैं पायलट
एयरफोर्स के हर पायलट की इच्छा होती है कि वह आसमान में उड़कर अपने एयरक्राफ्ट से वे सभी जौहर दिखाए, जो एक फाइटर पायलट दिखाता है।
यह पायलट इंडियन एयरफोर्स के महाराजपुरा एयरबेस की टीएसीडीई (एयर कंबेट डेवलप्मेंट इस्टेब्लिशमेंट) यूनिट में लड़ाई के गुर सीखने आते हैं।
टीएसीडीई हर साल उन पायलट को चुनती है, जो कई प्रकार के फाइटर एयरक्राफ्ट और हैलीकॉप्टर उड़ाना जानते हैं। यहां ये रडार सिस्टम से एयर और ग्राउंट के साथ मिलकर आसमान में लड़ाई के गुर सीखते हैं।
सिम्यूलेटर व आसमान में सीखते हैं युद्ध के गुर
महाराजपुरा एयरबेस की टीएसीडीई यूनिट में पायलटों की ट्रेनिंग के लिए मार्डन सिम्यूलेटर उपलब्ध हैं।
पहले सिम्यूलेटर में पायलट फाइटर एयरक्राफ्ट को उड़ाते हैं। फिर खुले आसमान में आते हैं।
वहीं इंडियन एयरफोर्स का इतिहास गवाह है कि टीएसीडीई से ट्रेंड पायलट आसमान में सबसे आगे रहते हैं और अब तक हर लड़ाई को वो जीतकर आए हैं।
सैंकड़ों पायलटों ने सीखे वॉर के गुर
एयरफोर्स की टीएसीडीई यूनिट कितनी महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश को 3 वायुसेना प्रमुख यहां से फाइटर पायलट बनकर निकले हैं।
इसी कारण एयरफोर्स के हर पायलट का सपना होता कि उसे टीएसीडीई में ट्रेनिंग का मौका मिले, जिससे वह फाइटर पायलट बन सके।
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