19वीं सदी की इन इमारतों को महाराजा जयाजी राव सिंधिया और उनके बेटे माधौ राव सिंधिया ने बनवाया था। इतिहासकारों के अनुसार जयाजीराव सिंधिया का व्यापार के सिलसिले में कई देशों में जाना होता था। वहां उन्होंने चौक देखे, जो सम्पन्नता की निशानी थे। ऐसा ही चौक उन्होंने महाराज बाड़ा के रूप में तैयार कराया, जिससे अन्य देशों के लोग अट्रैक्ट हो सकें। इसकी सुंदरता को देख यह हृदय स्थल कहा जाने लगा।
महाराज बाड़ा को जयाजी चौक भी कहा जाता है। इन इमारतों को बनाने के लिए बाहर से कारीगर बुलाए गए थे। इतिहासकारों के अनुसार इस चौक को तैयार करने में सात साल का समय लगा था। तत्कालीन महाराज खुद इन इमारतों का निरीक्षण करते थे।
गोरखी प्रवेश द्वार- राजपूत और मराठी शैली
डाक घर- इटैलियन आर्किटेक्ट
एसबीआई बैंक- रोमन शैली
एसबीआई एवं एपेक्स बैंक- फ्रंच शैली
टाउन हॉल- साउदी अरब शैली
मुद्रणालय बिल्डिंग- पर्शियन शैली
ग्वालियर का हृदय स्थल महाराज बाड़ा है। यहां सात इमारतें अलग-अलग शैलियों में हैं। बहुत सा इतिहास छिपाए महाराज बाड़े की इमारतों को और भी खूबसूरत बनाने का काम फसाड लाइटिंग के माध्यम से स्मार्ट सिटी कर रही है। अब रात के समय भी यहां लोग इन इमारतों की शैली को देख सकेंगे।
जयति सिंह, सीईओ, स्मार्ट सिटी