अष्टमहालक्ष्मी का मंदिर बनकर तैयार
दरअसल शहर के जौरासी पर अष्ट महालक्ष्मी का मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। शहर से 12 किमी दूर इस मंदिर का निर्माण किया गया है। 2019 में शुरू हुआ मंदिर का निर्माण कार्य 12 करोड़ रुपए की लागत से 2024 में संपन्न हुआ है।
6 मार्च को प्राण प्रतिष्ठा उत्सव
ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरेश चतुर्वेदी का कहना है कि 6 मार्च को महालक्ष्मी समेत यहां 11 प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा का उतसव मनाया जाएगा। 7 मार्च को मंदिर परिसर में लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसके बाद मंदिर में हर साल 6 मार्च को ही उत्सव कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। 6 फुट ऊंची प्रतिमा मंदिर में स्थापित की जाने वाली महालक्ष्मी की प्रतिमा 6 फीट ऊंची होगी। शेष 10 प्रतिमाओं के आकार अलग-अलग होंगे। इनमें महालक्ष्मी की सात बहनों के साथ ही गणेश, सरस्वती की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाएंगी। महालक्ष्मी की सात बहनों की प्रतिमा की ऊंचाई डेढ़-डेढ़ फीट की होगी। जबकि गणेश जी और सरस्वती की प्रतिमा की ऊंचाई 3-3 फीट होगी।
महामंडलेश्वर के साथ ही सीएम भी होंगे कार्यक्रम में
मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का ये उत्सव 1 मार्च से शुरू हो जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य कार्यक्रम 6 मार्च 2024 को मंदिर में आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में महामंडलेश्वर अवधेशानंद, प्रदेश के सीएम मोहन यादव, विधान सभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर समेत कई अतिथियों को आमंत्रित किया जाएगा।
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सूर्य मंदिर के निर्माण से आया वास्तु दोष होगा दूर
मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि शहर में लगातार बंद होने वाले उद्योग-धंधों के बाद धर्माचार्यों ने इस मामले पर चर्चा की। निष्कर्ष में सामने आया कि शहर में बड़ा वास्तु दोष आया है। ये वास्तु दोष शनि पर्वत के क्षेत्र ग्वालियर में सूर्य मंदिर की स्थापना के कारण हुआ। इसका असर शहर के कारोबार पर दिखा। अब इस वास्तु दोष को सुधारने के लिए अष्टमहालक्ष्मी मंदिर का निर्माण जरूरी था।
1 मार्च से शुरू होंगे 7 दिवसीय कार्यक्रम
– 1 मार्च- प्रायश्चित, कलश यात्रा
– 2 मार्च- पंचांग पूजन, मंडप प्रवेश
– 3 मार्च- वेदी पूजा, जलाधिवास
– 4 मार्च- मंडप और वास्तु पूजन
– 5 मार्च- मंडप पूजन और मूर्ति स्पन, प्रसाद स्पन्न, नगर भ्रमण, मूर्ति न्यास, शैयाविधास
– 6 मार्च- मंडप पूजन, प्राण प्रतिष्ठा, पूर्णाहूति, विसर्जन
– 7 मार्च- वेदपाठ, लोकार्पण
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– पहले दंदरौआ सरकार मंदिर प्रबंधन ने शताब्दीपुरम में मंदिर निर्माण का प्रयास किया, लेकिन विवादों के चलते ऐसा नहीं हो सका। इसके बाद जौरासी मंदिर प्रबंधन ने इस मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी ली। अब मंदिर का निर्माण पूरा हो चुका है।
जानें महालक्ष्मी और उनकी सात बहनों के नाम
1. आदिलक्ष्मी
2. धनलक्ष्मी
3. धान्यलक्ष्मी
4. गजलक्ष्मी
5. संतानलक्ष्मी
6. वीरलक्ष्मी
7. ऐश्वर्य लक्ष्मी
8. विजयलक्ष्मी