ग्वालियर

देश के कोने-कोने से यहां आए श्रद्धालुओं ने दी आहूतियां,ऐसी है मां की महिमा

देश के कोने-कोने से यहां आए श्रद्धालुओं ने दी आहूतियां,ऐसी है मां की महिमा

ग्वालियरApr 15, 2019 / 01:41 pm

monu sahu

देश के कोने-कोने से यहां आए श्रद्धालुओं ने दी आहूतियां,ऐसी है मां की महिमा

ग्वालियर। प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग में एक ऐसा मंदिर प्रसिद्ध है,जहां देश ही नहीं विदेश से भी भारी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते है। यह मंदिर दतिया जिले स्थित पीतांबरा पीठ है। जहां रविवार को मनाई गई रामनवमी पर शक्ति स्थल पीतांबरा पीठ पर हजारों की संख्या में भक्तों ने मंदिर पहुंच कर हवन में आहूतियां दी। वहीं मां के भक्तों ने जवारे विसर्जन किए। शक्ति स्थल पीतांबरा पीठ पर नवमीं के दिन हवन का आयोजन किया गया।
 

हवन में काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने सम्मिलित होकर आहूतियां दीं। देश के कोने-कोनेे से आए श्रद्धालुओं ने विशेष परिधानों में हवन कुंडों में सामूहिक रुप से हवन किया। इसके बाद अन्नपूर्णा भवन में भंडारे का आयोजन किया गया जो कि शाम तक जारी रहा। इसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।


देवी मां को अर्पित किए जवारे,खोला व्रत
नौ दिवसीय नवरात्रि महोत्सव का रविवार को जवारे विसर्जन के साथ समापन हुआ। मां को जवारे अर्पित करने के साथ देवी भक्तों द्वारा नौ दिन से किया जा रहा उपवास संपन्न हुआ।नवरात्रि महोत्सव के समापन पर मंदिरों तथा लोगों के घरों मे हवन भी हुआ। नवमी के अवसर पर बड़ी माता मंदिर पर भक्तों ने देवी पूजन के साथ देवी मां को जवारे अर्पित किए। जवारों के दर्शन करने के साथ श्रद्धालुओं ने नौ दिन से चल रहा अपना व्रत खोला।
 

वहीं रतनगढ़ माता मंदिर पर नवमी के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। मंदिर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंच कर दर्शन किए तथा अंचल से लोग जत्थों में जवारे विसर्जित करने पहुंचे। इस दौरान बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं को नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा था।
नेहरू ने मां पीतांबरा से लगाई थी गुहार
बीहड़ों की देवी पीताम्बरा के यहां आने वाले भक्तों में राजनेताओं से लेकर फिल्म स्टार्स तक शामिल हैं। इसे आस्था कहें या डर लेकिन कभी नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तक ने देवी के आगे अपना मस्तक झुकाया। एक समय ऐसा भी आया था जब दोनों मुल्कों के बीच हुई जंग में देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दतिया में स्थित मां पीतांबरा से मदद की गुहार लगाई थी और11वें दिन ही युद्ध की जंग पर विराम लग गया था।
 

सन्1962 में जब भारत और चीन का युद्ध हुआ था तब मां पीतांबरा के स्वामी जी ने फौजी अधिकारियों व तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू के अनुरोध पर देश की रक्षा के लिए मां बगलामुखी का 51 कुंडीय महायज्ञ कराया था। ऐसा बताया जाता है कि 11वें दिन अंतिम आहुति के साथ ही चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं। उस समय यज्ञ के लिए बनाई गई यज्ञशाला आज भी दतिया में बनी हुई है। साथ ही यहां लगी पट्टिका पर इस घटना का उल्लेख है।
maa pitambara peeth
इसलिए आते हैं माता के दरबार में
दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है। भक्त भी इसी रूप में उनकी आराधना करते हैं। राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं। मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में मां की पूजा का विशेष महत्व होता है। मां की मूर्ति में भी माता को शत्रु की जिव्हा पकड़े दिखाया है। इनकी पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है। शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि भगवान परशुराम ने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए मां की उपासना की थी।
 

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