भगवान आदिनाथ के लिए विशेष रथ मंगाया गया, जिसमें भगवान को विराजित किया गया। भगवान के रथ के आगे हाथियों की सवारी निकाली गई, जिसमें शामिल श्रद्धालु बैंड बाजों की धुन पर नृत्य कर रहे थे। इसके बाद नगर के 125 वर्ष पुराने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया, जिसमें भगवान श्रीजी के लिए बनाई गई वेदियों में प्रतिष्ठा की गई। महोत्सव के अंतिम दिन प्रभु का मोक्ष की ओर गमन हुआ। इस आयोजन में अनेक प्रतिमाओं को प्रतिष्ठित किया गया, जिन्हें भितरवार सहितविभिन्न जगहों के जैन मंदिरों में स्थापित किया जाएगा।
संसार से मुक्ति का स्वरूप है मोक्ष कल्याणक
मुनि विवेक सागर ने कहा कि मोक्ष कल्याणक एक ऐसा महोत्सव है जहां पर देहाती अवस्था की स्तुति आराधना के रूम में है कल्याणक होता है। उन्होंने कहा कि मुंह का अंत होते ही मोक्ष मिलता है मूंछ के लिए जिसने मुंह पर प्रहार किया उसे उपहार के रूप में सिद्ध तत्व की प्राप्ति होती है। संसार में संसारी जीव चार गति रूप में देखा जाता है लेकिन संसारातीत यदि पांचवी कोई गति है तो वह सिद्ध गति है। जो सांसारिक कर्म बंधनों को तोडऩे वाला हो सांसारिक संबंधों से अपना मानस उपयोग को दूर रखने वाला हो वह मोक्ष मार्गी बनता है। मुनि विहसंत सागर ने कहा कि मोक्ष का मतलब है स्वतंत्रता क्योंकि जो जीव धरती पर है ख्वाब परतंत्र है हम भी सभी परतंत्रता में हैं, हमें भी अपनी भावना और भाव का निर्माण करना है और उसकी प्राप्ति हो पाषाण से परमात्मा बनने का नाम ही पंच कल्याण है।
मुनि से लिया आशीर्वाद
पंचकल्याणक महोत्सव के समापन पर ग्वालियर चैंबर ऑफ कॉमर्स के मान सेवी सचिव एवं मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल मुख्य अतिथि रहे। साथ ही भाजयुमो नेता विवेक मिश्रा, वीरेन्द्र जैन पहुंचे जिन्होंने सर्वप्रथम श्रीजी के चरणों में श्रीफल भेंट किया। तत्पश्चात उपस्थित मुनीश्वर के चरणों में वंदना कर कार्यक्रम समापन की घोषणा की। समिति की ओर से दोनों अतिथियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से आयोजन समिति के संरक्षक सिंघई मुरारीलाल जैन,अध्यक्ष अनंत कुमार जैन,महामंत्री बलदेव अग्रवाल, मुख्य संयोजक रविंद्र जैन, संयोजक निर्मल जैन, कोषाध्यक्ष सिंघई मदनलाल जैन, डॉ.राधेलाल अग्रवाल, डॉ. एमएल जैन, कार्याध्यक्ष महेश चंद अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, हरीश अग्रवाल एडवोकेट, सिंघई मक्खनलाल जैन, मीडिया प्रभारी अंकुर जैन, डॉ. गोपाल अग्रवाल, मुन्नालाल जैन, जिनेंद्र जैन, विमली जैन कैरूआ वाले आदि उपस्थित रहे।