21 सदी का भारत दे रहा पूरी दुनिया को संदेश
प्रधानमंत्री ने कहा कि 21 वीं सदी का भारत पूरी दुनिया को यह संदेश दे रहा है कि इकॉनॉमी और ईकॉलॉजी परस्पर विरोधाभासी नहीं है। यह भारत ने दुनिया को करके दिखाया है। इसके लिए वर्ष 2014 के बाद देश में करीब ढाई सौ नए संरक्षित क्षेत्र जोड़े गए हैं। यह बताया है कि पर्यावरण की रक्षा के साथ ही देश की प्रगति भी हो सकती है। अब हम विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं।
गुजरात को भी किया याद
कूनो में प्रधानमंत्री गुजरात को याद करना नहीं भूले। उन्होंने कहा कि गुजरात देश में एशियाई शेरों का बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा है। शेरों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। टाइगर की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य भी हमने तय समय से पहले हासिल किया है। एक समय खतरे मेंं माने जा रहे एक सींग वाले गेंडों की संख्या असम में बढ़ी है। हाथियों की संख्या भी बढ़ कर पिछले वर्षों में 30 हजार से ज्यादा हो गई है। 57 वेटलेंडस को रामसर साइट्स घोषित किया गया है, इनमें 26 पिछले चार वर्ष में जोड़ी गई हैं। देश के लिए हुए इन प्रयासों का प्रभाव आने वाली सदियों तक दिखेगा और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगा।
चीते आ गए अब इनको ढलने के लिए दें समय
मोदी ने कूनो में सभी चीता मित्रों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रकृति और पर्यावरण के सरंक्षण में ही हमारा भविष्य सुरक्षित है। कूनो की धरती पर चीते आ गए हैं और इनको वातावरण में ढलने के लिए समय देना जरूरी है। जब तक ये यहां के वातावरण के अभ्यस्त नहीं हो जाते हैं तब तक हमें धैर्य रखना होगा।
यह भी बताया पीएम ने
-मोदी ने सभी देश वासियों से कहा कि चीते हमारे मेहमान बनकर आए हैं। अंतर राष्ट्रीय गाइडलाइन के हिसाब से कूनो में चीतों को बसाने का पूरा इंतजाम किया गया है। इनको देखने के लिए हमें अब कुछ महीनों का इंतजार करना होगा।
-वर्ष 1947 में भारत में सिर्फ 3 चीते बाकी थे, शिकार से इनका अस्तित्व खत्म हो गया और 1952 में भारत से चीते विलुप्त हो गए। इसके बाद से अभी तक चीतों के पुर्नवास के सार्थक प्रयास नहीं हुए। बीते कुछ वर्षों में भारत की धरती पर चीतों के पुनर्वास को नामीबिया, साउथ अफ्रीका सहित भारत के वैज्ञानिकों और विषय-विशेषज्ञों के शोध के बाद चीता एक्शन प्लान बना जिसका परिणाम हमारे सामने है।11:29 PM