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कई सालों तक यह शिवलिंग तलहटी में रहा। मंदिर से संबंधित लोगों का कहना है कि संत देव महाराज को इस शिवलिंग के दर्शन हुए। महंत देव महाराज के अनुरोध पर इस शिवलिंग को विधिविधान से स्थापित किया गया। बाद में सन 1937.38 में महाराजा जीवाजी राव सिंधिया ने मंदिर को भव्यता प्रदान की। कहते हैं कि आज भी नाग इस मंदिर की रक्षा करते हैं।
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प्रकृति की गोद में है दर्शनीय स्थल
पहाड़ की तलहटी में स्थित यह मंदिर सुरम्य वातावरण के कारण और भी दर्शनीय हो जाता है। नैसर्गिक सुंदरता से भरपूर यह स्थल लोगों को सहज रूप से अपनी ओर आकर्षित करता है। मंदिर के पार खुली जमीन पर बावड़ी है। यहां से चारों ओर हरियाली नजर आती है।
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नंदी, गजानन और मां गंगा भी हैं विराजित
कोटेश्वर महादेव मंदिर में नंदी, गजानन और मां गंगा की भी मूर्तियां हैं। इस मंदिर में हर सोमवार को शिवभक्त उमड़ते हैं। सावन के महीने में तो यहां रोजाना बडी संख्या में भक्त आते हैं।