ग्वालियर

जब हुआ चमत्कार! शिवलिंग तोड़ने आए सैनिकों के सामने सैंकड़ों नागों ने फन फैलाया, उल्टे पैरों भागा औरंगजेब

Koteshwar Mahadev Mandir Gwalior Koteshwar Mahadev Temple महाशिवरात्रि पर इस शिवलिंग की पूजा के लिए सुबह से हजारों भक्त लाइन में लगे

ग्वालियरMar 08, 2024 / 09:46 am

deepak deewan

कोटेश्वर महादेव

देश—दुनिया में आज महाशिवरात्रि धूमधाम से मनाई जा रही है। सनातन धर्म में शिव को आदिदेव के साथ ही आदिगुरू भी कहा गया है। शिव की महिमा अपरंपार है, उनके अनेक चमत्कारों की कहानी हम सुनते आए हैं। ग्वालियर में भी उनके एक चमत्कार की गाथा लोग सुनते—कहते हैं।

बताया जाता है कि आततायी मुगल शासक औरंगजेब ने यहां स्थित एक शिवलिंग को नष्ट—भ्रष्ट करने की योजना बनाई पर कुछ ऐसा हुआ कि उसकी सेना जान बचाकर भागने पर विवश हो गई। महाशिवरात्रि पर इस शिवलिंग की पूजा के लिए सुबह से हजारों भक्त लाइन में लगे हैं।

किवदंति के अनुसार औरंगजेब ने इस शिवलिंग को क्षतिग्रस्त करने के लिए सैनिक भेजे पर इसकी रक्षा के लिए अचानक ही कहीं से सैंकड़ों नाग वहां आ गए। उन्होंने सैनिकों का रास्ता रोक लिया। फन फैलाए नागों को देखकर सैनिक जान बचाकर भागे। खुद यहां आने की तैयारी में लगे औरंगजेब ने जब यह खबर सुनी तो वह भी उल्टे पैरों भाग खड़ा हुआ।

ग्वालियर का यह प्राचीन शिवलिंग किला पहाड़ी की तलहटी पर स्थित कोटेश्वर महादेव Koteshwar Mahadev मंदिर में स्थापित है। किवदंति है कि शिवलिंग पहले किला पहाड़ी पर था। जब औरंगजेब ने इस दुर्ग पर विजय हासिल की तो उसके सैनिकों ने वहां स्थापित देव प्रतिमाओं को तोड़ना शुरु कर दिया। इस दौरान शिवलिंग को भी पहाड़ से नीचे फेंक दिया।

शिवलिंग को फेंक देने से ही उसका मन नहीं माना तो कोटेश्वर महादेव के इस शिवलिंग को तोड़ना के लिए कई सैनिक भेज दिए। इधर शिवलिंग की रक्षा के लिए वहां एकाएक कई नाग आ गए और सैनिकों का रास्ता रोक लिया।

इसके बाद कई सालों तक यह शिवलिंग तलहटी में रहा। मंदिर से संबंधित लोगों का कहना है कि संत देव महाराज को इस शिवलिंग के दर्शन हुए। महंत देव महाराज के अनुरोध पर मंदिर बनवाकर इस शिवलिंग को विधिविधान से इसमें स्थापित किया गया।

बाद में सन 1937—38 में राजा जीवाजी राव सिंधिया ने यहां भव्य मंदिर बनवा दिया। ऐसा कहा जाता है कि नाग आज भी इस मंदिर और शिवलिंग की रक्षा करते हैं।

प्रकृति की गोद में है दर्शनीय धार्मिक स्थल
पहाड़ की तलहटी में स्थित यह मंदिर सुरम्य वातावरण के कारण और भी दर्शनीय हो जाता है। नैसर्गिक सुंदरता से भरपूर यह स्थल लोगों को सहज रूप से अपनी ओर आकर्षित करता है। मंदिर के पास एक बावड़ी भी है। यहां से चारों ओर हरियाली नजर आती है।

शिवभक्त उमड़े
कोटेश्वर महादेव मंदिर में नंदी, गजानन और मां गंगा की भी मूर्तियां हैं। इस मंदिर में हर सोमवार को शिवभक्त उमड़ते हैं। महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहां लाखों भक्त आते हैं। आज महाशिवरात्रि पर यहां सुबह से
पूजा के लिए शिवभक्त उमड़ पड़े हैं।

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