वह जमीन पर बैठकर भोजन करते और खादी से बने धोती-कुर्ता पहनते। दैनिक आवश्यकताओं में उन्होंने हमेशा स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल किया।
ग्वालियर•Oct 02, 2016 / 10:28 am•
Gaurav Sen
Hindi News / Gwalior / बापू की पाठशाला: 100 वर्ष पूरे करने के बाद आज भी पहनते हैं खादी के कपड़े