ग्वालियर के महाराज माधवराव सिंधिया अपनी बारात ट्रेन से लेकर गए थे। जिसके लिए ग्वालियर से दिल्ली के बीच विशेष ट्रेन चलाई गई। 8 मई 1966 को परंपरागत रूप से शादी संपन्न हुई थी और किरण राज लक्ष्मी विवाह पश्चात सिंधिया घराने की बहू और सिंधिया राजवंश की रानी बनकर ग्वालियर आ गईं।
नेपाल राजघराने से था संबंध
माधवी राजे सिंधियानेपाल राजघराने से संबंध रखती थी। उनके दादा शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के प्रधानमंत्री थे। कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया के साथ विवाह से पहले प्रिंसेस किरण राज्यलक्ष्मी देवी उनका नाम था। साल 1966 में माधवराव सिंधिया के साथ उनका विवाह हुआ था। मराठी परंपरा के मुताबिक शादी के बाद उनका नाम बदलकर माधवी राजे सिंधिया रखा गया था। पहले वे महारानी थीं, लेकिन 30 सितंबर 2001 को उनके पति और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के निधन के बाद से उन्हें राजमाता के नाम से संबोधित किया जाने लगा।
दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया का बुधवार को दिल्ली में निधन हो गया। उन्होंने सुबह 9.28 बजे दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली। उनका अंतिम संस्कार कल गुरूवार को कटोराताल मार्ग स्थित अम्मा महाराज की छत्री के पास किया जाएगा। इसके लिए ग्वालियर में पूरी तैयारियां कर ली गई हैं। इधर उनके निधन की सूचना मिलने पर जयविलास पैलेस के अंदर पुलिस फोर्स तैनात कर लिया गया है। माधवी राजे पिछले कुछ दिन से वह वेंटिलेटर पर थीं और जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही थीं। उन्हें 15 फरवरी को एम्स में भर्ती किया गया था। उन्हें सेप्सिस के साथ निमोनिया भी हो गया था।
तीन बड़े राज घराने के लोग होंगे शामिल
माधवी राजे सिंधिया के अंतिम संस्कार में तीन बड़े राज घराने के लोग शामिल होंगे। जिसमें नेपाल नरेश, कश्मीर का राज घराना और बडोदरा का शाही परिवार आएगा। बता दें कि भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां राजमाता माधवी राजे सिंधिया मूल रूप से नेपाल की रहने वाली थीं। उनका नेपाल के राजघराने से संबंध था। उनके दादा जुद्ध शमशेर बहादुर नेपाल के प्रधानमंत्री थे। साल 1966 में उनका माधवराव सिंधिया के साथ उनका विवाह हुआ था।