दूरस्थ शिक्षण संस्थान की मान्यता के लिए सबसे पहली शर्त स्वयं का स्टडी मटेरियल और स्थाई स्टाफ व टीचर की नियुक्ति थी। यह जेयू प्रशासन नहीं कर सका, न ही छात्रों की क्लास लगाने के लिए आधुनिक तकनीक उपयोग में ला सका। यही कारण है कि नेक की स्कोर रैंकिंग में दूरस्थ शिक्षण संस्थान फेल हो गया था।
दूरस्थ शिक्षण संस्थान में 12 काउंसलर नियुक्त हैं, जो पिछले साल पदस्थ किए गए थे। जबकि हर साल काउंसलर के लिए विज्ञापन जारी करना होता है। इस बार अगस्त महीना बीतने को है, अब तक डायरेक्टर की ओर से कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया है।
जेयू के दूरस्थ शिक्षण संस्थान में स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा, प्रोफेशनल डिग्री के 32 कुल कोर्स संचालित किए जाते थे। वर्तमान में केवल एमबीए के तीन कोर्स संचालित हो रहे हैं, शेष 29 कोर्स बंद हो चुके हैं। वही ग्वालियर-चंबल संभाग के अलग-अलग जिलों के स्टडी सेंटर भी बंद हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में अंचल के छात्र, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विवि और भोज से जुड़ रहे हैं।
मेरे समय यूजीसी ने कुछ शर्तों के साथ मान्यता रिन्यू की थी। इसमें कई शर्तें पूरी भी कर ली गई हैं। अब मान्यता को लेकर मेरे पास कोई जानकारी नहीं है।
प्रो.योगेश उपाध्याय, पूर्व डायरेक्टर, जेयू
यूजीसी ने प्रदेश के एक-दो विश्वविद्यालय को छोडकऱ किसी भी विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षण संस्थान को मान्यता नहीं दी है। उनकी शर्तें पूरी नहीं हो सकी हैं। काउंसलर के लिए जल्द ही विज्ञापन निकाला जाएगा।
प्रो.एके श्रीवास्तव, डायरेक्टर, दूरस्थ शिक्षण संस्थान, जेयू