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ग्वालियर

जब एक जाट राजा के सामने पस्त हुए थे मराठा, ग्वालियर दुर्ग पर किया था कब्जा

पूरी दुनिया में जिब्राल्टर ऑफ फोर्ट कहे जाने वाला ग्वालियर का अजेय और अभेद किले ने एक जाट राजा का शौर्य देखा है, जिसने मराठाओं को शिकस्त देकर इस महान दुर्ग पर कब्जा किया।

ग्वालियरJan 07, 2017 / 12:55 pm

Shyamendra Parihar

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ग्वालियर। पूरी दुनिया में जिब्राल्टर ऑफ फोर्ट कहे जाने वाला ग्वालियर का अजेय और अभेद किले ने एक जाट राजा का शौर्य देखा है, जिसने मराठाओं को शिकस्त देकर इस महान दुर्ग पर कब्जा किया। गोहद के जाट राजा भीम सिंह ने अपने 1000 सिपाहियों के साथ ग्वालियर दुर्ग पर हमला बोल दिया था और मराठा सरदार को मुुंह की खानी पड़ी थी।







इतिहास में कई शासक ऐसे रहे जो एक बार भी ग्वालियर दुर्ग को नहीं जीत पाए,लेकिन जाटवंश के राजाओं ने ये कारनामा दो बार करके दिखाया। ग्वालियर दुर्ग दो बार जाट राजाओं के अधीन रहा। भले ही ये शासन कुछ समय चला हो, लेकिन इतिहास अब भी इस जाट राजा को याद करता है। ग्वालियर किले पर बना भीमसिंह ताल और उनकी छत्री इस बात की गवाह है।

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(ग्वालियर फोर्ट पर बना भीम सिंह ताल)





मुगलों ने मदद मांगी तो लड़ाई में कूद पड़े भीम सिंह

बात 1754 की है, जब मराठा सेनाएं दक्षिण की ओर लौट रही थीं। मराठा नायक वि_ल विंचुरकर ने अपना पड़ाव ग्वालियर में डाला और दुर्ग को घेर लिया। उस समय ग्वालियर के किले पर मुगलों की सत्ता थी और यहां मुगल शासक की ओर से किश्वर अली खान दुर्ग के किलेदार हुआ करते थे। मराठाओं की सेना ने ग्वालियर के किले पर हमला कर दिया। पहले तो मुगल किलेदार किश्वर अली ने अपने थोड़े से सैनिकों के साथ मराठों का मुकाबला किया, लेकिन जब हालात नहीं समझे तो उसने गोहद के जाट राजा भीम सिंह से मदद मांगी।


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(जाट राजा भीम सिंह राणा की छत्री)




1000 बंदूकधारियों के साथ मराठा सेना पर किया हमला

मुगलों के किलेदार किश्वर अली द्वारा मदद मांगने पर भीम सिंह अपने एक हजार बंदूकधारी सैनिकों को लेकर दुर्ग पर पहुंच गए। बाद में राजा भीम सिंह ने अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाई और बहादुरपुर गांव के पास मराठा सरदार विंचुरकर के ऊपर हमला बोल दिया। इस हमले में आसपास के राजाओं ने भी भीम सिंह की मदद की और मराठों को पीछे हटना पड़ा। कुछ महीनों तक जाट राजा भीम सिंह का दुर्गं पर कब्जा रहा।


मराठा सरदार ने घेरा भीम सिंह को
मराठा इस हार को भूल नहीं पाए। एक मराठा सरदार रघुनाथ राव दिल्ली से दक्षिण की ओर वापस आ रहे थे। उसी दौरान उन्होंने ग्वालियर दुर्ग को घेर लिया। जाट राजा भीम सिंह औऱ मराठों के बीच एक महीने तक घमासान युद्ध हुआ। इस बीच सालू गांव के पास भीम सिंह को पहले से ताक में बैठे मराठा सरदार विंचुरकर ने घेर लिया। दोनों के बीच युद्ध हुआ और इसमें भीम सिंह घायल हो गए। उनके अंगरक्षक जैसे-तैसे भीम सिंह को दुगज़् पर ले गए। यहां पर उनकी मौत हो गई।


भीम सिंह के बाद इस जाट राजा ने भी किया था किले पर कब्जा
1761 में दुर्ग पर मराठे काबिज थे। उसी दौरा तीसरे पानीपत के युद्ध में मराठों की हार हुई और उस दौरान ग्वालियर में गोविंद श्याम राव दुर्ग में सूबेदार था। मराठों की हार के बाद गोहद के जाट राजा छत्र सिंह सक्रिय हुए और उन्होंने दुर्ग पर हमला बोल दिया। जाट और मराठों में घमासान युद्ध हुआ और मराठे हार गए। एक बार फिर से जाट राजा ने दुर्ग पर कब्जा जमा लिया। वे चार साल तक दुर्ग मे रहे, लेकिन एक बार फिर से मराठों ने महादजी सिंधिया के नेतृत्व में जाट राजाओं पर हमला किया। इसमे जाट राजा को पीछे हटना पड़ा और दुगज़् के साथ पूरी तरह मराठों का ग्वालियर पर कब्जा हो गया।

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