ग्वालियर। 12,40,771 वर्ग फीट में फैले सिंधिया घराने का महल जय विलास पैलेस अपनी भव्यता व नक्काशियों के लिए देश-विदेश में जाना जाता है। जय विलास पैलेस का निर्माण महाराजा जयाजी राव सिंधिया ने आजादी से पहले सन 1874 में कराया था। उस समय महल की कीमत एक करोड़ (200 मिलियन डॉलर) रुपए आंकी गई थी। वर्तमान में शाही महल का एक हिस्सा म्यूजियम बन चुका है। म्यूजियम की ट्रस्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी सिंधिया हैं। जबकि, एक हिस्से में कांग्रेस सांसद व वर्तमान महराज ज्योतिरादित्य सिंधिया का परिवार रहता है। करीब 40 कमरों में बने भव्य म्यूजियम में सिंधिया काल के अस्त्र-शस्त्र, डोली एवं बग्घी और कांच के पायों पर टिकी सीढिय़ों की रेलिंग प्रदर्शित की गई है। यहां आपको पूर्व महाराजों के जीवन परिचय, उनका दरबार हाल, राजशाही चेयर-कुर्सिया समेत विदेशों में निर्मित कई प्राचीन वस्तुएं देखने को मिलेंगी। खास बात यह है कि महल के दरबार हॉल में सात-सात टन वजनी बेल्जियम के दो झुमर लगे हैं, जो दुनिया का सबसे वजनी झुमरों में से एक है। कहां जाता है कि इतना वजनी झुमर लगवाने से पहले यूरोपियन आर्किटेक्ट माइकल फिलोसे ने महल के छत पर हाथियों को चढ़ाकर देखा था कि छत इन हाथियों का वजन शह सकता है या नहीं। 200 मिलियन डॉलर में हुआ था महल का निर्माण सिंधिया घराने का भव्य महल का निर्माण 1874 में हुआ था। उस समय इस महल की कीमत करीब 1 करोड़ (200 मिलियन डॉलर) रुपए आंकी गई थी। महल यूरोपीय आर्किटेक्ट और डिजाइन का बेहतरीन नमूना है। इसका निर्माण नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित सर माइकल फिलोसे ने किया था। महल में बना दरबार हॉल लोगों में काफी ख्यात है। पैलेस में हैं 400 कमरे जय विलास पैलेस 12,40,771 वर्ग फीट में बना है। महल में कुल 400 कमरे हंै, जिसमें 40 कमरे म्यूजियम के तौर पर रखे गए हैं, जिसमें महल के अंदर की गैलरी, उस समय प्रचलित अस्त्र-शस्त्र, उस समय प्रयुक्त होने वाली डोली एवं बग्घी और कांच के पायों पर टिकी सीढिय़ों की रेलिंग म्यूजियम के रूप में दिखाई गई हैं। महल की ट्रस्टी ज्योतिरादित्य की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया हैं।