विश्व प्रसिद्ध ‘रामायणÓ सीरियल का ग्वालियर से भी विशेष योगदान रहा है। इस सीरियल में मेरे पिता डॉ. कविवर कैलाश कमल जैन द्वारा रचित कई भजन और दोहे संगीतकार रवींद्र जैन द्वारा संगीतबद्ध किए गए। जब रामायण की धाक पूरे देश में बन चुकी थी। रामायण को देखने का बहुत उत्साह हुआ करता था। लोग अपनी टीवी के सामने अगरबत्ती जलाने लगते थे। कोई पूजा करता था, तो कोई भजन गुनगुनाता था। सीरियल के दौरान यदि लाइट चली जाती थी, लोगों में आक्रोश देखने को मिलती था। आज से वही सीरियल फिर से डीडी नेशनल पर शुरू हो चुका है। हमारे लिए यह खुशी की बात है। आज से फिर वही इतिहास दोहराएगा। लोग टीवी के सामने बैठने को मजबूर होंगे। क्योंकि उस सीरियल को कोई भुला नहीं सकता।
प्रतिवर्ष पिताजी से मिलने आते थे रवींद्र जैन
इस महान सीरियल में मेरे पिता द्वारा दिए योगदान से मैं और मेरा पूरा परिवार गौरवान्वित है। रवींद्र जैन साहब लगभग हर वर्ष पिताजी से मिलने ग्वालियर आते थे उन्हें माताजी के हाथों की बनी बेड़ई उन्हें बहुत पसंद थी। पिताजी को रामायण के लिए दो-दो महीने तक मुंबई में रुकना पड़ता था। उनके सहयोग के लिए हमारे बड़े भाई डॉ अक्षय कुमार जैन एवं गोपाल जैन रहा करते थे।
लग गई थी लोगों की भीड़
वह दिन मुझे आज भी याद आता है जब फि ल्म ‘नदिया के पारÓ एक तरफ अपनी अपार सफ लता के साथ चल रही थी और एक तरफ रामायण सीरियल देखने का उत्साह पूरे देश को रहता था। उस दौरान रवींद्र जैन का घर आना हुआ। उस समय उनकी पत्नी दिव्या भी उनके साथ थी। पूरे शहर को जब यह सूचना मिली, तो उनकी एक झलक पाने को सभी आतुर थे।
जैसा कि ग्वालियर के फोटोग्राफर केदार जैन ने अपने पिता के बारे में बताया…।