ग्वालियर। चंबल किनारे के दर्जनों गांव के लोग आत्मघाती कदम उठाए हुए हैं। खनिज माफिया के बहकावे में आकर जिस नदी की कोख से रेत निकाल रहे हैं, वहीं रेत उनके लिए भयानक आपदा लेकर आने वाला है। चंबल नदी का बेड (जल बहाव की सतह) कई स्थानों पर सामान्य से तीन मीटर तक नीचे चली गई है, जिससे नदी की गहराई तेजी से बढ़ी है। इससे आने वाले समय में नदी का तेज बहाव विकराल हो सकता है। जानकारी के मुताबिक जिस तरीके से नदी का बेड खोदा जा रहा है। उससे सामान्य बरसात में पानी का बहाव असाधारण हो सकता है। गर्मियों में नदी का बहाव 18 क्यूसेक मीटर प्रति सेकेंड है। अगस्त में पानी का ये बहाव दो हजार क्यूसेक मीटर प्रति सेकेंड होता है। इसमें 25 फीसदी का इजाफा हो सकता है। देश के जाने माने मृदा और जल प्रबंधन विज्ञानियों का दावा है, जिस तरीके से अवैध खनन चंबल में बढ़ा है। इससे दो भयानक खतरे खड़े हो गए हैं। पहले तो आसपास के दर्जनों गांव जबरदस्त बारिश में जल मग्न हो सकते हैं। जिन गांवों में संकट दस्तक दे रहा है, उनमें बरवासिन,टिगरी रिठोरा,चंबल गुहा, किसरोली, कापुरा, रछेड़, महुआ अटेर के बीच बिजौरी हथकंडा के निकट और कुछ गांव हैं। “नदी के प्राकृतिक बहाव क्षेत्र को बचाना होगा। इसके लिए शासन को दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कदम उठाने होंगे। बीहड़ नियंत्रण की दिशा में उसके बहाव क्षेत्र को संतुलित बनाए रखना होगा।” प्रो. पंजाब सिंह, पूर्व कुलपति बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, बनारस “अभी बारिश कम हो रही है, जिस साल अच्छी बारिश हुई। कई गांवों का पता नहीं चलेगा। दरअसल, नदी के जल सतह वाले क्षेत्र की खुदाई हो रही है, जिससे नदी और गहरी हो रही है। पानी का बहाव और फ्लड तेजी से आएगा। इससे बीहड़ और बढ़ेंगे, जो गांवों के लिए विनाशकारी साबित होंगे।” डॉ. जीपी वर्मा, मृदा विज्ञानी, पूर्व कुलपति, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय,जबलपुर पेहसारी बांध के निकट पहुंचे अवैध खनन कारोबारी शहर की जलापूर्ति के लिहाज से बेहद संवेदनशील पेहसारी डैम की अस्मिता को खनन माफिया ने सीधे तौर पर चुनौती दी है। ये चुनौती वैध खदान की आड़ में दी गई थी, जिसे फिलहाल कलेक्टर ने नाकाम कर दिया है। कलेक्टर ने इस क्षेत्र में एक राजस्व खदान को हाल ही में निरस्त किया है। वन विभाग की लगातार आपत्ति के बाद कलेक्टर डॉ. संजय गोयल ने ये कदम उठाया है। इधर गुरुवार की दोपहर से वन विभाग ने उस इलाके में दबिश दी, जहां अवैध खनन के जरिए बड़े- बड़े गड्ढे बना दिए गए थे। इन गड्ढों को भरने के लिए भारी भरकम मशीनें लगाई गईं। ये कवायद तीस मार्च तक चलनी है। वन संरक्षक राजेश कुमार और डीएफओ विक्रम सिंह के साथ समूचा अमला घाटीगांव इलाके में पहुंचा। जखौदा में एक हितैची मशीन के जरिए सात खदानों के गड्ढों को समतल किया गया। जखौदा के 11 नंबर ब्लॉक और वहीं सोन चिरैया वाले इलाके में ब्लॉक नंबर 391 के करीब एक दर्जन गड्ढे भरे गए। “विभागीय अफसरों ने जखौदा और घाटीगांव इलाके में उन खदानों के गड्ढे भरने की कवायद शुरू की है, जो अवैध तरीके से खोदे गए थे। ये कार्रवाई लगातार जारी रहेगी।” राजेश कुमार, सीसीएफ ग्वालियर वृत्त