मैं ज्ञान देने नहीं बल्कि आचरण देने आया हूं
ग्वालियर. मैं तुम्हें ज्ञान देने नहीं आया हंू, अब मैं तुम्हें आचरण देने आया हूं। ज्ञान से मोक्ष नहीं मिलेंगा। ज्ञान ग्रंथ ऐसा है जैसे नील का पत्थर। ग्रंथ तो दिशा दे सकते हैं चलना तो खुद ही पड़ेगा, मरे बिना तो स्वर्ग नहीं मिलने वाला। दुनिया का हर व्यक्ति स्वर्ग में जाना चाहता है, पर स्वर्ग जैसा जीवन जीना नही चाहता। यह विचार आचार्य प्रसन्न सागर महाराज ने रविवार को नई सडक़ स्थित चंपाबाग बगीची में मंगल प्रवेश के दौरान धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। आचार्य प्रसन्न सागर पुष्पदंत सागर महाराज से आचार्य की पदवी प्राप्त करने के बाद पहली बार ग्वालियर आए हैं। मंच पर उनके साथ मुनि पीयूश सागर एवं क्षुल्लक पर्व सागर महाराज भी मौजूद थे।
आचार्य प्रसन्न सागर ने कहा कि पूरा जैन समाज मोबाइल है, अभी आचार्य विशुद्ध सागर महाराज आपके मोबाइल की सिम कार्ड बनाकर आये थे और मैं प्रसन्न सागर आपके मोबाइल की बैटरी बनकर आया हूं। मैं हर पल आपको चार्ज करता रहूंगा। तुम्हारी बैटरी डिस्चार्ज न हो और इसे फुल चार्ज करने का तरीका संत ही सीखा सकते हैं।
मंगल प्रवेश के लिए निकली शोभायात्रा
आचार्य प्रसन्न सागर महाराज का मंगल प्रवेश नया बाजार स्थित दिगंबर जैन मंदिर से गाजे-बाजे के साथ प्रारंभ हुआ। ये नया बाजार, हुजरात रोड, दौलतगंज, पारखजी का बाड़ा, सराफा बाजार, महाराज बाड़ा, मोर बाजार, दानाओली से नई सडक़ होते हुए कार्यक्रम स्थल चंपाबाग बगीची पहुंची। मंगल प्रवेश के दौरान घोड़े, डीजे के साथ केसरिया टोपी पहनकर पुरूष सफेद परिधान व महिलाएं केसरिया साडिय़ों में चल रही थीं। जैन समाज के लोगों ने अपनेे घर और प्रतिष्ठानों पर रंगोली की सजावट कर आचार्य के पद प्रक्षालन कर आर्शीवाद लिया। मंगल प्रवेश के दौरान ज्ञानेश्वरी ढोल-तासे से पथक जयघोष, बैंड ने णमोकार महामंत्र की प्रस्तुतियां दी।
जनमंगल महायज्ञ महोत्सव 21 को
आचार्य प्रसन्न सागर के सानिध्य में पहली बार जनमंगल महायज्ञ महोत्सव 21 जनवरी को सुबह 8 बजे से आयोजित किया जाएगा। 23 जनवरी को सुबह 9 बजे से प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ के मोक्षकल्याण पर निर्वाण लाडू चढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही रोजाना सुबह 8.30 बजे से चंपाबाग बगीची पर प्रवचन होंगे।