बुजुर्ग महिला ने बताया कि मेहनत मजदूरी कर और नाते रिश्तेदारों से कर्ज लेकर दो बेटियों की शादी तो कर दी, लेकिन रिश्तेदारों से लिए कर्ज के रुपए चुकाने के लिए वह इधर-उधर मेहनत मजदूरी करती है। सुबह व शाम को घर-घर खाना मांगकर पेट भरती है। वह बताती हैं कि एक साल पहले उन्हें पेंशन मिलती थी, लेकिन अब पेंशन नहीं आने से वह खाने को भी मोहताज हो गई है, और भीख मांगकर पेट भर रही है। पेंशन के लिए वह एक साल से निगम ऑफिसों के चक्कर काट रही है, लेकिन अब तक पेंशन नहीं मिली है।
हादसे में चली गई पति की जान
कमला बाई ने पत्रिका को बताया कि सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन करीब 10 साल बाद एक हादसे में पति की मौत हो गई। उसके बाद जैसे-तैसे कड़ा संघर्ष कर चार बेटियों व एक बेटे की जिम्मेदारी कंधों पर उठाकर उनका पालन पोषण किया। दो बेटियों व एक बेटे की शादी भी कर दी, लेकिन बहू की मौत होने के बाद बेटा घर छोड़कर कहीं चला गया, जो आज तक घर नहीं आया।
बच्चों की शादी के लिए बेच दिया मकान : कमला बाई ने कहा, बेटे-बेटियों की शादी के के लिए मकान भी बेचे दिया और कुछ जमीन थी दंबगों ने दबा ली है। अब वह वीरपुर मरघट के पास एक झोपड़ी में रह रही हैं। अब सिर्फ पांच हजार का कर्ज रह गया है।