सुबह हिंदू महासभा ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का बलिदान दिवस मनाया। इस दौरान उन्होंने गोडसे की फोटो लगाकर आरती उतारी गई और फूल माला पहनाकर गोडसे की पूजा की गई। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में महासभा के सदस्य भी काफी संख्या में मौजूद रहे। इस दौरान महासभा ने नाथूराम गोडसे के अंतिम बयान को राज्य के स्कूल और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की भी मांग रखी।
हिन्दू महासभा ने सीएम के नाम भेजा ज्ञापन
हिंदू महासभा ने शहर के दौलतगंज स्थित अपने कार्यालय में नाथूराम गोडसे की फांसी के दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। आपको बता दें कि आज ही के दिन 70 साल पहले गोडसे को महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या करने के जुर्म में फांसी दी गई थी। इस दौरान कार्यक्रम में नाथूराम गोडसे की तस्वीर लगाई गई और उसकी पूजा की गई। इसके साथ ही दीपक जलाकर गोडसे का गुणगान करने वाली आरती भी गाई गई। आयोजन के बाद हिंदू महासभा ने प्रशासन को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा। जिसमें महासभा ने मुख्यमंत्री से नाथूराम गोडसे के अंतिम बयान को स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की है।
मूर्ति स्थापित करने की थी कोशिश
आपको बता दें कि नवंबर 2017 में हिन्दू महासभा ने नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाने के लिए मूर्ति लगाने की कोशिश की थी। लेकिन पुलिस ने उसकी कोशिश को नाकाम कर दिया था और मूर्ति को अपने कब्ज़े में ले लिया था। महासभा ने उस मूर्ति को वापस देने की मांग भी उठाई थी,लेकिन शिकायत और विरोध के बाद शिवराज सरकार ने प्रतिमा जब्त कर ली थी।
ऐसे की थी महात्मा गांधी की हत्या
30 जनवरी 1948 की शाम 5 बजे बापू प्रार्थना सभा के लिए निकले थे। इस दौरान तनु और आभा उनके साथ थीं। उस दिन प्रार्थना में ज्यादा भीड़ थी। फौजी कपड़ों में नाथूराम गोडसे अपने साथियों करकरे और आप्टे के साथ भीड़ में घुलमिल गया। बापू आभा और तनु के कंधों पर हाथ रखे हुए थे। यहां गोडसे ने तनु और आभा को बापू के पैर छूने के बहाने एक तरफ किया, बापू के पैर छूते-छूते पिस्टल निकाल ली और दनादन बापू पर गोलियां दाग दीं।
बापू गोलियां लगते ही हे राम….कहते हुए बापू नीचे गिर गए और इस प्रकार मुसोलिनी की सेना की पिस्टल ने महात्मा गांधी की जान ले ली। गोली चलते ही प्रार्थना सभा भी भगदड़ मच गई। गोडसे ने नारे लगाए और खुद ही चिल्ला कर पुलिस को बुलाया। इस दौरान वहां मौजूद लोग तो क्या खुद पुलिस ने भी नाथूराम गोडसे को तब गिरफ्तार किया, जब उसने खुद ही पिस्टल नीचे गिरा दी।