यदि ट्रायल (फैमिली) कोर्ट के तर्क को स्वीकार किया जाता है तो मुस्लिम पुरुष न्याय पाने के मूल्यवान अधिकार से वंचित हो जाएगा। ट्रायल कोर्ट ने दाम्पत्य रिश्ते को खत्म करने का आवेदन नामंजूर कर गलती की है, इसलिए उसके आदेश को निरस्त किया जाता है।
सुनवाई के लिए भेजा वापस
मुस्लिम पुरुष कोर्ट के माध्यम से तलाक लेने का हकदार है। इसके साथ ही कोर्ट ने दतिया के फैमिली कोर्ट को फिर से सुनवाई के लिए वापस भेज दिया। दरअसल दतिया के फैमिली कोर्ट ने तलाक के आवेदन पर फैसला करते हुए कहा था कि मुस्लिम कानून (शरीयत) में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके माध्यम से मुस्लिम पुरुष अपना तलाक करा सके। इसलिए प्रकरण सुनवाई योग्य नहीं है।दतिया फैमिली कोर्ट ने तलाक के आवेदन पर कहा था कि शरीयत में प्रावधान नहीं है, जिससे मुस्लिम पुरुष तलाक करा सके। इसलिए प्रकरण सुनवाई योग्य नहीं है। इस पर पति ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। कोर्ट ने मुस्लिम पुरुष को कोर्ट से तलाक का हकदार मान फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखने से इनकार कर दिया।