ग्वालियर

अवैध तलघरों पर हाईकोर्ट का कड़ा रुख, निगम कमिश्नर से 15 दिन में मांगा जिम्मेदार अफसरों का ब्योरा

न्यायालय ने कहा कि निगम के खुद के रोडमैप के अनुसार 19 माह का कार्य संतुष्टीकारक नहीं है। अभी भी अवैध रूप में तलघरों का निर्माण किया जा रहा है।

ग्वालियरSep 13, 2019 / 01:09 am

Rahul rai

अवैध तलघरों पर हाईकोर्ट का कड़ा रुख, निगम कमिश्नर से 15 दिन में मांगा जिम्मेदार अफसरों का ब्योरा

ग्वालियर। उच्च न्यायालय ने शहर में अवैध तलघरों पर की गई कार्रवाई पर असंतोष जताते हुए अब कड़ा रुख अपनाया है। नगर निगम आयुक्त से 15 दिन में शपथ पत्र पर इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों का ब्योरा मांगा गया है। उन्हें यह भी बताना होगा कि वर्तमान में यह अधिकारी कहां पदस्थ हैं और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी और कितने दिन में की जाएगी। न्यायालय ने कहा कि निगम के खुद के रोडमैप के अनुसार 19 माह का कार्य संतुष्टीकारक नहीं है। अभी भी अवैध रूप में तलघरों का निर्माण किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की युगलपीठ ने आदेश में कहा है कि अवैध तलघरों के निर्माण और नियम विरुद्ध निर्माण होने पर संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई करना निगम का दायित्व है। न्यायालय ने कहा कि निगम द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को स्वीकार करने का मतलब है कानून तोडऩे का अपराध करने वाले अधिकारियों के कार्य को स्वीकृति देना। अवैध निर्माण को बढ़ावा देने वाले अधिकारियों के खिलाफ अभी तक निगम ने क्या कार्रवाई की है निगम को यह भी बताना होगा।
छह कॉलम में यह बताना है निगम को

उच्च न्यायालय ने आदेश में कहा कि नगर निगम अब जो जानकारी देगा वह विस्तृत होगी। पहले कॉलम में तलघर की जानकारी होगी, जिसमें यह बताना होगा कि जिन 426 तलघरों पर कार्रवाई होनी है, वह 300 दिन में किस प्रकार से की जाएगी, किस दिन कौन से तलघर पर कार्रवाई की जाएगी। दूसरे कॉलम में इसे बनाने की किस अधिकारी ने अनुमति दी, उसका नाम देना होगा। तीसरे कॉलम में उस अधिकारी का नाम देना होगा जो इसका निरीक्षण कर कार्रवाई करने में फेल रहा, जिसने यह नहीं देखा कि भवन का निर्माण अनुमति के अनुसार किया जा रहा है या नहीं। चौथे कॉलम में बताना होगा कि वर्तमान में अनुमति देने वाले तथा निरीक्षण में असफल अधिकारी कहां पदस्थ हैं, पांचवें कॉलम में बताना होगा कि इन अधिकारियों पर क्या कार्रवाई प्रस्तावित की गई है। छठवें कॉलम में बताना होगा कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कितनी समय अवधि में कार्रवाई की जाएगी। न्यायालय ने इस संबंध में सभी तथ्यों को रेकॉर्ड पर लेने के भी निर्देश निगम को दिए हैं। न्यायालय ने यह भी कहा कि हमने यह नहीं कहा कि आप कुछ न करें।
याचिकाकर्ता भी बताए निगम ने कौन से तलघर छोड़े
उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता मदन सिंह कुशवाह को निर्देश दिए हैं कि वह उन तलघरों की सूची न्यायालय में प्रस्तुत करें जिन्हें निगम अधिकारियों ने छोड़ दिया है। उन तलघरों की भी जानकारी दें जहां अभी भी व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। याचिकाकर्ता को ऐसे निर्माणों की भवन संख्या, भूखंड संख्या, वार्ड क्रमांक तथा किस नाम से है इसकी जानकारी देनी होगी।
323 तलघरों में पार्किंग शुरू

निगम द्वारा प्रस्तुत प्रतिपालन रिपोर्ट में कहा गया है कि 282 तलघरों में पार्किंग व्यवस्था प्रारंभ करा दी है, एवं 98 तलघरों में पार्किंग नहीं हो सकती थी, इसलिए उन्हें बंद करा दिया गया है। निगम ने कहा कि कुल 323 तलघरों में पार्किंग प्रारंभ की गई है।

निगम ने 300 मांगे

नगर निगम द्वारा न्यायालय में शेष तलघरों में पार्किंग प्रारंभ कराने के लिए 300 दिन का समय दिए जाने का निवेदन किया गया। इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का कहना था कि यह प्लान आईवाश के अलावा कुछ नहीं है।
रोडमैप के अनुसार नहीं किया काम
न्यायालय ने कहा कि नगर निगम ने 27 सितंबर 2017 को सभी तलघरों में पार्किंग व्यवस्था प्रारंभ कराने के लिए रोडमैप तैयार करके दिया था। इसके अनुसार यह कार्य 4 अक्टूबर-17 से अप्रेल-2019 तक पूरा होना था। निगम का कहना था कि हमारे इस प्रस्ताव पर न्यायालय संतुष्ट नहीं था। इस पर न्यायालय ने कहा कि प्रस्ताव को अस्वीकार नहीं किया, बल्कि उस पर नाखुशी जताई थी। न्यायालय ने 10 अक्टूबर-2018 के आदेश का उल्लेख करते हुए निगम को याद दिलाया कि धारा 422 मध्यप्रदेश म्युनिसिपल कारपोरेशन एक्ट 1956 में आदेश का पालन नहीं होने तथा कार्य करने में समर्थ नहीं होने की स्थिति में इस एक्ट के परिणामों पर भी विचार करे। इस कानून के अनुसार यदि निगम कार्य करने में अक्षम रहता है तो निगम को भंग कर शासन के अधीन करने की सिफारिश की जा सकती है।

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