हथियार के साथ लूट के अपराध में सही विवेचना नहीं करने पर भिण्ड देहात कोतवाली थाना प्रभारी रामबाबू सिंह यादव को उच्च न्यायालय ने फटकार लगाई है। न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक (DGP) को भी निर्देश दिए हैं कि वे टीआई को अपने स्तर पर किसी भी पुलिस प्रशिक्षण संस्थान में भेज सकते हैं, लेकिन प्रशिक्षण कम से कम छह महीने का होना चाहिए।
पुलिस अधिकारियों की लापरवाही का लाभ आरोपी को मिल गया और हाईकोर्ट ने लूट के प्रकरण में जमानत स्वीकार कर ली है। जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने सुनवाई के दौरान कहा, एसएचओ हर पहलू से वाकिफ थे, फिर भी मामले को लेकर अपने रुख पर बने रहे। यह उनकी कानूनी ज्ञान की कमी को दर्शाता है। एसएचओ में दक्षता की कमी है।
आरोपियों के इकबालिया बयान के सिवा कोई पुख्ता सबूत नहीं जुटाए गए। आवेदक राजवीर सिंह जाटव को पुलिस ने 2012 के लूट के प्रकरण में इसी वर्ष 14 फरवरी को गिरफ्तार किया था। आरोपी के अधिवक्ता का तर्क था कि दस साल बाद पेश किया, लेकिन पहचान परेड तक नहीं कराई थी। आरोपी के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं।
कोर्ट ने कहा, वर्तमान मामले का संबंध है, यह सच है कि वर्ष 2012 में अपराध किया गया था और आवेदक को पेशी वारंट के निष्पादन
में विचारण न्यायालय के समक्ष पेश किया गया, लेकिन आवेदक के खिलाफ कोई ठोस स्वीकार्य सबूत नहीं है और उसके पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ है। ऐसे में कोर्ट के पास जमानत देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा
पहले भी कई मामलों में कोर्ट ने आदेशों को चिह्नित कर सुधार के उपाय के लिए पुलिस महानिदेशक को निर्देशित दिए थे, पर सुधार नहीं हुआ। इसलिए एसएचओ रामबाबू यादव को कानून, जांच के तरीके सीखने तत्काल प्रशिक्षण की आवश्यकता है। पुलिस महानिदेशक इस मामले में 15 दिन में न्यायालय रजिस्ट्रार को रिपोर्ट पेश करें।