अभियोजन की जांच पर सवाल खड़े कर कहा, यदि उचित रूप से विवेचना की जाती तो दोषी के अतिरिक्त भी घरवालों पर मामला बनने की संभावना थी। अभियुक्त का मेमोरेंडम लेने के बाद पूछताछ नहीं की गई। दोषी ने बचाव में कहा, प्रथम अपराध है। वृद्ध है। एक साल से न्यायिक हिरासत में है। उम्र को देखते हुए सहानुभूति बरती जाए। लेकिन अपर लोक अभियोजक धर्मेन्द्र शर्मा ने तर्क दिया कि नवजात की हत्या समाज के लिए धब्बा है। फांसी की सजा सुनाई जाए।
ये है मामला
23 मार्च 2024 को कमलाराजा अस्पताल में काजल ने दिव्यांग बच्ची को जन्म दिया था। उसका बायां हाथ कोहनी के नीचे से नहीं था। 2 से 3 दिन तक सास प्रेमलता ने बच्ची को अपने पास नहीं लिया। ससुरालवाले भी खुश नहीं थे। 26/27 मार्च की रात नवजात प्रेमलता के पास थी। काजल ने देखने के लिए सास से बेटी को मांगा, लेकिन उसने बच्ची नहीं दी। न उसकी कोई जानकारी दी। 27 मार्च 2024 को डॉक्टर को बच्ची मृत मिली। बच्ची को कंबल के अंदर मार देने की शंका होने पर पंचनामा बनाया गया।